
जब संसार रोगों से कराह रहा हो, जब शरीर बुखार से तप रहा हो, जब बच्चे चेचक जैसी बीमारी से ग्रसित हों — तब एक ही नाम हर युग में लोगों की आशा बना…
“माँ शीतला देवी”।
पुराणों में वर्णन है कि जब देवताओं को भी भयानक रोग घेर लेते थे, तब वे किसी वैद्य के पास नहीं जाते थे…
बल्कि वे सिर झुकाकर जाते थे माँ शीतला के चरणों में।
शीतला, यानी जो शीतल करे…
जो जलते शरीर को ठंडक दे,
जो रोगों की जड़ को नष्ट कर दे,
जो केवल भक्ति से ही आरोग्य का वरदान दे दे।
🌿 शीतला माता का एक चमत्कारी मंत्र है, जिसे विधिपूर्वक श्रद्धा से जपने पर, माना जाता है कि शरीर के रोग छूमंतर हो जाते हैं।
> || ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं शीतलायै नमः ||
इस मंत्र का जप सात, इक्कीस या 108 बार रोज़ किया जाए…
तो कहा जाता है,
कि माँ स्वयं रोग के रूप को शरीर से बाहर निकाल देती हैं।
देवता भी जब रोग से पीड़ित हुए थे — तो माँ शीतला ने ही उन्हें ठीक किया था।
👁️ आपने चेचक के रोग में देखा होगा — गाँवों में आज भी लोग शीतला माँ का व्रत रखते हैं, बिना नमक का खाना खाते हैं, और ठंडा भोजन चढ़ाते हैं।
क्योंकि यही मां की कृपा पाने का तरीका है।
🌼 शीतला माता को नीम के पत्ते, दही-चावल, ठंडा जल, और मिट्टी का कलश बहुत प्रिय है।
जो माता को प्रेम से भोग लगाता है, जो सच्चे मन से उनका यह मंत्र जपता है—
> || ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं शीतलायै नमः ||
उसे माँ शीतला की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
फिर चाहे रोग शारीरिक हो या मानसिक —
माँ शीतला सब कुछ शांत कर देती हैं।
🙏 आइए, आज से ही हम माँ शीतला का यह चमत्कारी मंत्र अपनाएं।
श्रद्धा, विश्वास और भक्ति के साथ
क्योंकि जहां विज्ञान चुप हो जाता है, वहां माँ की शक्ति बोलती है।
📌 शीतला माता मंत्र उपयोग विधि (Blog के लिए उपयोगी):
सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
माता शीतला की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
नीम के पत्ते, ठंडा पानी, दही-चावल आदि का भोग लगाएं।
मंत्र जपें:
> || ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं शीतलायै नमः ||
मंत्र 108 बार जाप करें (माला से)।
रोगी व्यक्ति के लिए प्रार्थना करें।