“राखी सीधे हाथ में क्यों बांधी जाती है”? जानिए वह रहस्य जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे”

रक्षाबंधन का पर्व केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें गहरे आध्यात्मिक और पौराणिक रहस्य छुपे हैं। हर साल सावन पूर्णिमा के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि राखी हमेशा सीधे (दाएँ) हाथ में ही क्यों बांधी जाती है? यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसी मान्यता है जिसकी जड़ें वेदों और पुराणों में मिलती हैं।
1. दाहिने हाथ का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में दाहिना हाथ “शुभ” माना जाता है। यज्ञ, पूजा, हवन, आशीर्वाद, प्रसाद ग्रहण—हर पवित्र कार्य दाहिने हाथ से ही किया जाता है। यह विश्वास है कि दाहिना हाथ “सूर्य नाड़ी” से जुड़ा है, जो उर्जा, साहस और सुरक्षा का प्रतीक है। राखी जब दाहिने हाथ में बांधी जाती है तो वह भाई के साहस और जीवन-ऊर्जा को बढ़ाती है, जिससे वह अपनी बहन की रक्षा कर सके।
2. पौराणिक कथा — इंद्राणी और इंद्रदेव
सबसे प्राचीन कथा वामन पुराण और भागवत पुराण में मिलती है।
देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हो रहा था। देवताओं के राजा इंद्रदेव बार-बार पराजित हो रहे थे। यह देखकर उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक विशेष रक्षा सूत्र तैयार किया। उन्होंने मंत्रों से उस सूत्र को पवित्र किया और युद्ध के लिए निकलते समय इंद्र के दाहिने हाथ में बांध दिया।
कहा जाता है, उस रक्षा सूत्र की शक्ति और देवी इंद्राणी के आशीर्वाद से इंद्रदेव ने युद्ध जीत लिया। तभी से रक्षा सूत्र—यानी राखी—दाहिने हाथ में बांधने की परंपरा शुरू हुई।
3. भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कथा
महाभारत में एक प्रसंग आता है—शिशुपाल वध के समय श्रीकृष्ण की उंगली कट गई और खून बहने लगा। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। यह कार्य भी उन्होंने कृष्ण के दाहिने हाथ में किया।
श्रीकृष्ण ने इस प्रेम और समर्पण को रक्षा-सूत्र मानकर जीवन भर द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया। बाद में चीरहरण के समय यही वचन निभाया गया, जब उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई।
4. वैज्ञानिक दृष्टि से कारण
दाहिने हाथ का सीधा संबंध शरीर की ऊर्जा प्रवाह से है। आयुर्वेद और योग शास्त्र के अनुसार दाहिना हाथ “पिंगला नाड़ी” से जुड़ा है, जो शरीर को उष्मा, बल और सक्रियता प्रदान करती है। जब राखी इस हाथ में बांधी जाती है, तो यह प्रतीक बन जाती है कि भाई अपनी शक्ति और ऊर्जा बहन की रक्षा में समर्पित करेगा।
5. अनुष्ठान में दाहिने हाथ की प्रधानता
प्राचीन वैदिक विधियों में किसी भी रक्षा-सूत्र, मौली या कंकण को हमेशा दाहिने हाथ की कलाई पर बांधने का निर्देश है—चाहे वह रक्षा बंधन का त्योहार हो, पूजा का यज्ञोपवीत हो, या मंदर में कलावा।
पुरोहित भी पूजा में कलावा दाहिने हाथ में ही बांधते हैं, क्योंकि यह आशीर्वाद और सुरक्षा का “प्रवेश द्वार” माना जाता है।
6. अन्य पौराणिक प्रसंग
बलि और वामन: भगवान वामन ने राजा बलि को वचन देकर पाताल में भेजा, लेकिन लक्ष्मी माता ने बलि को रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई मान लिया। बलि ने भी वचन दिया कि वह लक्ष्मी और उनके पति विष्णु की रक्षा करेंगे।
यम और यमुनाजी: एक बार यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए। यमुनाजी ने यमराज की दाहिनी कलाई में रक्षा सूत्र बांधा और उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद मिला। तभी से रक्षा सूत्र को अमरता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
7. राखी का असली संदेश
राखी केवल धागा नहीं, बल्कि एक “वचन” है—संरक्षण, प्रेम और विश्वास का। यह परंपरा भाई और बहन के रिश्ते से भी आगे जाती है—यह किसी भी रिश्ते में रक्षा और सम्मान का प्रतीक बन सकती है। चाहे वह मित्र हो, गुरु हो, या कोई और।
8. निष्कर्ष
जब बहन भाई की दाहिनी कलाई में राखी बांधती है, तो यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि उस अनादि परंपरा का पालन है जिसे देवी इंद्राणी ने, द्रौपदी ने, और अनगिनत बहनों ने निभाया है। दाहिना हाथ—शक्ति, साहस और सुरक्षा का प्रतीक—राखी के धागे से बंधकर एक पवित्र बंधन बन जाता है।
अगली बार जब आप राखी बांधें, तो याद रखें कि यह केवल एक धागा नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही एक पावन प्रतिज्ञा है—”मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा, हर परिस्थिति में, हर जन्म में।”
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