“गणेश चतुर्थी की पूजा विधि: सही तरीका, रहस्य और वो सवाल जिनके जवाब हर भक्त जानना चाहता है”

“गणेश चतुर्थी की पूजा विधि: सही तरीका, रहस्य और वो सवाल जिनके जवाब हर भक्त जानना चाहता है” 

 "गणेश चतुर्थी की पूजा विधि: सही तरीका, रहस्य और वो सवाल जिनके जवाब हर भक्त जानना चाहता है"
“गणेश चतुर्थी की पूजा विधि: सही तरीका, रहस्य और वो सवाल जिनके जवाब हर भक्त जानना चाहता है”https://bhakti.org.in/ganesh-chaturthi-puja-vidhi/

गणपति बप्पा, विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति – यही नाम आते हैं जब गणेश चतुर्थी का पर्व हमारे द्वार खटखटाता है। हर भक्त चाहता है कि उसकी पूजा सही तरीके से हो ताकि घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे। लेकिन अक्सर लोगों के मन में प्रश्न उठते हैं – कैसे पूजा करें? कौन-सी सामग्री चाहिए? मूर्ति विसर्जन कैसे करें? इस लेख में हम गहराई से समझेंगे कि गणेश चतुर्थी की पूजा किस दृष्टिकोण से करनी चाहिए और आपके मन में उठने वाले हर प्रश्न का सरल उत्तर देंगे

गणेश चतुर्थी की पूजा विधि: सही तरीका, रहस्य और वो सवाल जिनके जवाब हर भक्त जानना चाहता है

हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
यह दिन पूरे भारत में हर्ष और भक्ति से भरा होता है।
गणपति बप्पा मोरया! के जयकारों से वातावरण गूंज उठता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं 
गणेश चतुर्थी की पूजा का सही तरीका क्या है?
और गणेश जी के पूजन से जुड़े कौन-से रहस्य और प्रश्न हर भक्त के मन में होते हैं?
आइए जानते हैं पूरी जानकारी।

भगवान गणेश का महत्व

शास्त्रों में गणेश जी को “विघ्नहर्ता” कहा गया है जो हर बाधा को दूर करते हैं और कार्यों में सफलता प्रदान करते हैं।किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत “श्रीगणेशाय नमः” से ही की जाती है,
क्योंकि वे सिद्धि और बुद्धि के स्वामी हैं।

“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

यह मंत्र हर पूजा की शुरुआत में गणेश जी का आह्वान करता है।

पूजन की विधि

  1. गणेश जी का स्नान कराएं – पहले जल, फिर दूध, फिर शुद्ध जल।

  2. वस्त्र पहनाएं – लाल या पीले कपड़े का छोटा टुकड़ा अर्पित करें।

  3. सिंदूर चढ़ाएं – गणेश जी के मस्तक पर।

  4. दूर्वा अर्पित करें – कम से कम 21 दूर्वा पत्तियां।

  5. पुष्प चढ़ाएं – लाल या पीले फूल।

  6. मंत्र जप करें:
    “ॐ गं गणपतये नमः” – 108 बार।

  7. आरती करें:
    “जय गणेश जय गणेश देवा” या “सुखकर्ता दुखहर्ता

गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे करें?

1. स्नान और शुद्धि:

सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।

2. मूर्ति स्थापना:

गणपति बप्पा की मिट्टी की मूर्ति उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करें। लकड़ी या धातु की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मूर्ति रखें।

3. आवाहन और संकल्प:

दीपक जलाकर “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और संकल्प लें कि आप पूरे श्रद्धा भाव से गणपति जी की पूजा करेंगे।

4. भोग और प्रसाद:

मोदक, लड्डू, दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास), लाल फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।

5. आरती और प्रार्थना:

गणपति आरती करें और पूरे परिवार के साथ “सुखकर्ता दुखहर्ता” गाकर वातावरण को भक्तिमय बनाएं

🌿 पूजा का दृष्टिकोण – क्यों है महत्वपूर्ण?

धार्मिक दृष्टिकोण:

गणपति जी बुद्धि, विद्या और विघ्नों के नाशक हैं। उनकी पूजा से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

पूजा के दौरान मंत्रोच्चारण और धूप-दीप वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। दूर्वा और तुलसी जैसे पौधे वायुमंडल को शुद्ध करते हैं।

सामाजिक दृष्टिकोण:

गणेश चतुर्थी केवल घर की नहीं, समाज की भी पूजा है। एक साथ मिलकर उत्सव मनाने से भाईचारा और आपसी प्रेम बढ़ता है।

🌸 विशेष नियम और सुझाव

मूर्ति हमेशा मिट्टी की ही रखें, ताकि विसर्जन के बाद पर्यावरण को हानि न हो।

पूजा में लाल और पीले फूल का विशेष महत्व है।

गणेश जी को तुलसी पत्र चढ़ाना वर्जित है, लेकिन गणेश चतुर्थी पर तुलसी माता का पूजन अलग से किया जा सकता है।

मूर्ति विसर्जन के समय मन में बप्पा से यही प्रार्थना करें – “जल्दी आना, अगले साल।”

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्र.1: गणेश चतुर्थी पर मूर्ति कितने दिन रखी जाती है?
👉 परंपरा अनुसार 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 10 दिन और 21 दिन तक मूर्ति रखी जा सकती है।

प्र.2: क्या मैं घर में खुद गणेश जी की स्थापना कर सकता हूँ?
👉 हाँ, बिल्कुल। किसी पंडित की अनिवार्यता नहीं है। श्रद्धा और भक्ति सबसे बड़ा मंत्र है।

प्र.3: क्या गणेश जी को तुलसी पत्र चढ़ाया जा सकता है?
👉 नहीं। पौराणिक कथा अनुसार गणेश जी और तुलसी माता के बीच शाप-वरदान की कथा है, इसलिए तुलसी पत्र नहीं चढ़ाते।

प्र.4: क्या ऑफिस या दुकान में भी गणपति की स्थापना की जा सकती है?
👉 हाँ, और यह अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे व्यवसाय में उन्नति होती है।

प्र.5: गणपति विसर्जन कैसे करें?
👉 यदि नदी या तालाब उपलब्ध न हो, तो घर में ही बड़े पात्र में मूर्ति विसर्जन करें और उस जल का प्रयोग पौधों में करें।

गणेश चतुर्थी केवल एक त्योहार नहीं बल्कि भक्ति, आस्था और सकारात्मकता का प्रतीक है। जब आप पूरे मन से गणपति बप्पा की आराधना करते हैं तो न केवल घर में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि समाज और प्रकृति को भी संदेश मिलता है कि भक्ति, पर्यावरण और प्रेम – यही सच्चा विसर्जन है।

✍️ लेखक: संदीप रावत (भक्ति ज्ञान ब्लॉग)


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