क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्या है? जानिए सूर्य उपासना के इस महापर्व का रहस्य, नियम और महत्त्व

क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्या है? जानिए सूर्य उपासना के इस महापर्व का रहस्य, नियम और महत्त्व



क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्या है? जानिए सूर्य उपासना के इस महापर्व का रहस्य, नियम और महत्त्व

क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्या है? जानिए सूर्य उपासना के इस महापर्व का रहस्य, नियम और महत्त्व
क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्या है? जानिए सूर्य उपासना के इस महापर्व का रहस्य, नियम और महत्त्वhttps://bhakti.org.in/chhath-puja-ka-mahatva-aur-poori-vidhi


क्या आप लोग छठ पूजा के बारे में जानते हैं? छठ पूजा भारत की उन महान परंपराओं में से एक है जहाँ प्रकृति, जल, वायु और सूर्य की उपासना की जाती है। यह पर्व न केवल श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि अनुशासन, तप और आत्मसंयम का भी अद्भुत उदाहरण है। मुख्य रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल के तराई क्षेत्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु आज इसके भक्त देश और विदेश के हर कोने में देखे जा सकते हैं।

छठ पूजा क्या है?

छठ पूजा सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की उपासना का पर्व है। यह पूजा सूर्य की ऊर्जा, जीवन और स्वास्थ्य के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए की जाती है।
यह माना जाता है कि सूर्य की उपासना करने से मनुष्य की हर इच्छा पूरी होती है और रोग-शोक दूर होते हैं।
छठ शब्द संस्कृत के “षष्ठी” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है छठा दिन। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, यानी दीपावली के छठे दिन।

छठ पूजा की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया सृष्टि की रचयिता भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और माता प्रकृति का रूप मानी जाती हैं।
कहा जाता है कि जब पांडव वनवास में थे, तब द्रौपदी ने सूर्य देव की आराधना की थी ताकि पांडवों को कठिनाइयों से मुक्ति मिले।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम और माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद इस पर्व का अनुष्ठान किया था — उन्होंने सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने राज्य में सुख-समृद्धि की कामना की थी।

छठ पूजा कब और कैसे मनाई जाती है?

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है। हर दिन का अपना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व है।

पहला दिन – नहाय-खाय:

इस दिन व्रती (उपवास करने वाला व्यक्ति) नदी या तालाब में स्नान करके घर की सफाई करता है।भोजन में चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल खाए जाते हैं।
यह शुद्धता और सात्त्विक जीवन की शुरुआत होती है।

दूसरा दिन – खरना (लोहंडा):

सूर्यास्त के बाद व्रती गुड़ और चावल से बनी खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर भगवान को अर्पित करता है और फिर वही प्रसाद ग्रहण करता है।
इसके बाद से व्रती अगले 36 घंटे तक निर्जल उपवास रखता है।

तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य:

यह छठ पूजा का सबसे सुंदर दृश्य होता है। स्त्रियाँ और पुरुष सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर अर्घ्य देते हैं।ढोल, मंजीरा, और भक्ति गीतों से वातावरण गूंज उठता है — “केलवा जे हरि हर कहे…” जैसी लोकधुनें पूरे माहौल को आध्यात्मिक बना देती हैं।

चौथा दिन – उषा अर्घ्य:

अंतिम दिन सूर्योदय से पहले अर्घ्य दिया जाता है।व्रती सुबह-सुबह जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करते हैं।
इसके बाद पूजा संपन्न होती है और व्रती उपवास तोड़ता है।

छठ पूजा के नियम और परंपराएँ

1. छठ व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है क्योंकि इसमें 36 घंटे का निर्जल उपवास रखा जाता है।

2. पूजा में प्रयुक्त वस्तुएँ पूरी तरह प्राकृतिक और शुद्ध मानी जाती हैं — जैसे बांस की टोकरी, ठेकुआ, गुड़, गन्ना, फल, और दीया।

3. पूजा स्थल पर सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

4. किसी भी प्रकार का मांस, शराब या नकारात्मक व्यवहार इस समय वर्जित होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से छठ पूजा

छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभदायक है। सूर्य की किरणों से मिलने वाली विटामिन D शरीर को ऊर्जा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता देती है।
सूर्य की ओर जल अर्पित करने से मन और शरीर में शांति, संतुलन और सकारात्मकता आती है। साथ ही यह पर्व लोगों को अनुशासन, संयम और सामूहिकता का संदेश देता है।

 छठी मैया की महिमा

भक्त मानते हैं कि छठी मैया उन सभी की मनोकामना पूरी करती हैं जो श्रद्धा और भक्ति से व्रत करते हैं। अक्सर महिलाएँ संतान की प्राप्ति, परिवार की भलाई और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से छठी मैया की पूजा करता है, उसके जीवन से दुखों का अंधकार दूर हो जाता है।

आज के समय में छठ पूजा

आज छठ पूजा केवल बिहार या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रही —दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से लेकर विदेशों तक इसकी झलक दिखाई देती है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की एकता, पवित्रता और प्रकृति-प्रेम का प्रतीक बन चुका है। समुद्र तटों, झीलों और कृत्रिम घाटों पर भी श्रद्धालु उसी भावना से अर्घ्य अर्पित करते हैं।


छठ पूजा हमें यह सिखाती है कि प्रकृति, जल और सूर्य के बिना जीवन असंभव है। यह पर्व आभार, अनुशासन और आत्मसंयम का सन्देश देता है। सूर्य की उपासना करते हुए हम केवल भगवान को नहीं, बल्कि जीवन के हर स्रोत को प्रणाम करते हैं। तो इस वर्ष, जब आप घाट पर जाएँ, मन में एक ही भावना रखें — “सूर्य देव, हमारे जीवन में उजाला बनाए रखें।”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


1. छठ पूजा किस देवता की पूजा है?
सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।

2. छठ पूजा कितने दिन तक चलती है?
यह चार दिन का पर्व है — नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य।

3. क्या पुरुष भी छठ व्रत रख सकते हैं?
हाँ, पुरुष और महिलाएँ दोनों यह व्रत रख सकते हैं।

4. छठ पूजा में कौन-से प्रसाद बनते हैं?
ठेकुआ, खीर, चावल, गुड़, केला, नारियल और मौसमी फल।

5. छठ पूजा का मुख्य संदेश क्या है?
प्रकृति और सूर्य के प्रति आभार, शुद्धता और आत्मसंयम का संदेश।



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