वर्तमान में भगवान शिव कहाँ रहते हैं, कैलाश पर्वत पर या अमरनाथ?

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जब भी कोई शिवभक्त भगवान भोलेनाथ का नाम लेता है, तो उसके मन में दो स्थानों की छवि उभरती है कैलाश पर्वत और अमरनाथ गुफा।
दोनों ही स्थान दिव्यता, रहस्य और अद्भुत शक्ति से भरे हैं।

लेकिन अक्सर यह प्रश्न उठता है —

 “क्या भगवान शिव आज भी कैलाश पर्वत पर विराजमान हैं?”
या फिर —
 “क्या वे अमरनाथ गुफा में वास करते हैं जहाँ उन्होंने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था?”
यह प्रश्न केवल एक जिज्ञासा नहीं, बल्कि हर शिवभक्त के हृदय की पुकार है  “भोलेनाथ कहाँ हैं?”

कैलाश पर्वत के नीचे पाताल लोक है या नहीं इस बारे में निश्चित रूप से कुछ भी कहना बेहद ही मुश्किल है क्योंकि न तो आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत पर चढ़ पाया है और न ही किसी ऐसी गुफा या सुरंग तक पहुंच पाया है जो कैलाश पर्वत के नीचे तक ले जा पाती होI किंतु कैलाश पर्वत अपने आप में बेहद ही विशिष्ट है, और खुद में अनेकों रहस्य समेटे हुए हैं: जैसे कि:

एक बार एक हिंदू परिवार जोकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गया हुआ था उन्होंने अपना संस्मरण सुनाते हुए बताया कि कैलाश पर्वत पर चढ़ने की मनाही है किंतु हमारी यात्रा के समय एक किशोर लड़का जो कि कैलाश पर्वत के नजदीक पहुंचने की कोशिश कर रहा था वह लड़का जब पर्वत के काफी नजदीक पहुंचा तो उसे एक अजीब सा अहसास हुआ और जोर का झटका लगा जिससे कि वह कई फीट पीछे जाकर गिरा और अपनी चेतना खो बैठाI

जब वह होश में आया तो उसे यह भी याद नहीं था कि वह कैलाश पर्वत के पास कब और कैसे पहुंचा था और न ही यह कि उसके साथ हुआ क्या थाI

बहुत वर्ष पहले एक तिब्बतन बौद्ध साधु ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की थी और वह काफी दूर तक चढ़ने में सफल रहे थे किंतु वापस आने पर उन्होंने कभी भी किसी को नहीं बताया कि वहां पर आखिर था क्या? ऐसी भी किवदंतियां हैं कि वहां से आने के बाद वह फिर जीवनभर मौन ही रहेI

कैलाश पर्वत सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म में भी पवित्र माना जाता हैI चीन की सरकार ने फिलहाल इसकी चढ़ाई पर रोक लगाई हुई है क्योंकि कोई भी जो इस पर चढ़ने की कोशिश करता है या तो मारा जाता है या अपनी चेतना को देता हैI

कैलाश पर्वत भगवान शिव का अनंत धाम

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव का शाश्वत निवास स्थान है।यह पर्वत तिब्बत में स्थित है और इसकी ऊँचाई लगभग 22,000 फीट है।कैलाश पर्वत के बारे में कहा गया है कि 
“न तत्र सूर्यः प्रभा, न च चंद्रमाः नवा हवा, केवलं शिव तेजः तत्र।”
अर्थात, वहाँ न सूर्य की रोशनी पहुँचती है, न चाँद की, केवल शिव का दिव्य प्रकाश व्याप्त है।
कैलाश को “देवताओं का घर” और “विश्व का केंद्र बिंदु” कहा जाता है।
यह न केवल शिव का निवास है, बल्कि ब्रह्मांड की ऊर्जाओं का मिलन स्थल भी माना गया है।

कैलाश का रहस्य और विज्ञान

आज तक कोई भी पर्वतारोही कैलाश की चोटी पर नहीं पहुँच सका।कहा जाता है कि जो भी वहाँ जाने की कोशिश करता है, उसे किसी न किसी अलौकिक शक्ति के कारण लौटना पड़ता है।वैज्ञानिक भी मानते हैं कि वहाँ चुंबकीय ऊर्जा इतनी तीव्र है कि किसी भी जीवित शरीर के लिए लंबे समय तक वहाँ रहना असंभव है।शिवभक्त मानते हैं कि यह इस बात का प्रमाण है कि कैलाश आज भी भगवान शिव का सजीव निवास है।

अमरनाथ गुफा — जहाँ भगवान ने सुनाया “अमर कथा”

अब बात करते हैं अमरनाथ गुफा की, जो जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में लगभग 3,888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।यह वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

कथा के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा 

 “हे महादेव, आप सदा के लिए कैसे जीवित हैं, आपकी मृत्यु क्यों नहीं होती?”तब भोलेनाथ ने उन्हें एक गुप्त स्थान पर ले जाकर अमर कथा सुनाई।उस गुफा में किसी अन्य प्राणी का प्रवेश न हो, इसलिए उन्होंने अपने वाहन नंदी, चाँद, नाग, गण और भस्म तक को वहीं छोड़ दिया।गुफा में उन्होंने माता को ‘ओंकार’, ‘योग’, ‘सृष्टि का रहस्य’ और ‘अमरत्व का ज्ञान’ दिया।
कहा जाता है कि गुफा के भीतर जो बर्फ का शिवलिंग स्वयं बनता है, वही उस अमर कथा का प्रतीक है।

 तो क्या भगवान शिव कैलाश पर हैं या अमरनाथ में?


यह प्रश्न तर्क से नहीं, बल्कि भक्ति से उत्तर पाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव निर्गुण और साकार दोनों रूपों में विद्यमान हैं।वे केवल किसी एक स्थान में सीमित नहीं — वे “सर्वव्यापक” हैं, जो हर हृदय में बसते हैं। कैलाश पर्वत उनका शाश्वत निवास है — जहाँ वे अपने ध्यान और समाधि में स्थित रहते हैं।वहीं, अमरनाथ वह स्थान है जहाँ उन्होंने अमरत्व का रहस्य प्रकट किया था। दोनों ही स्थान शिव की उपस्थिति के अलग-अलग आयाम हैं — एक शक्ति का केंद्र, दूसरा ज्ञान का स्रोत।


ही शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा क्षेत्र हैI

“और ये तथ्य भगवान शिव की कैलाश पर उपस्थिति की हिंदुओं की मान्यताओं को भी कहीं न कहीं सिद्ध करता है”I

हर हर महादेव!
जय महाकाल!

 

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