“कटारमल मंदिर – जहाँ सूर्य अब भी उगता है, पर भक्त नहीं आते…”

“उत्तराखंड की शांत वादियों में, अल्मोड़ा से लगभग 19 किलोमीटर दूर एक रहस्यमयी मंदिर स्थित है — कटारमल सूर्य मंदिर।ये कोई साधारण मंदिर नहीं…
यह सूर्यदेव का वो प्राचीन धाम है, जिसकी गूंज समय की सीमाओं को लांघ चुकी है।”
️ इतिहास की झलक:
“कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में कत्युरी राजा कातरमल ने करवाया था।इसी कारण इसे ‘कटारमल मंदिर’ कहा गया।यह मंदिर भारत के चुनिंदा सूर्य मंदिरों में से एक है,
और कोणार्क के सूर्य मंदिर के बाद सबसे प्राचीन सूर्य मंदिरों में गिना जाता है।”
स्थापत्य चमत्कार:
“मंदिर की बनावट पहाड़ी पत्थरों से की गई है।इसके गर्भगृह में सूर्य भगवान ब्रह्मा-कश्यप स्वरूप में विराजमान हैं।चारों ओर 44 छोटे-छोटे मंदिर हैं —जिनमें देवी-देवताओं की मूर्तियाँ कभी बसी थीं।मंदिर का प्रवेशद्वार सूर्य की पहली किरण को ऐसे ग्रहण करता हैजैसे कोई ध्यानस्थ योगी परम प्रकाश को आत्मसात कर रहा हो।”
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
“कटारमल मंदिर केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं —यह एक साधना पीठ है।कहा जाता है, यहाँ सूर्योपासना करने सेआत्मिक ऊर्जा जागृत होती है, और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।प्राचीन समय में योगीगण यहाँ आकर ‘आदित्य ह्रदय स्तोत्र’ का जाप करते थे।”
️ दर्शनीय दृश्य और अनुभव:
“कटारमल मंदिर केवल दर्शन के लिए नहीं —बल्कि आत्मा की शांति के लिए है।यहाँ की शुद्ध हवा, हिमालय की हल्की झलक, और एक दिव्य सन्नाटामनुष्य को बाहर नहीं, भीतर की ओर ले जाता है।
यहाँ खड़े होकर सूर्य को निहारना –
मानो समय थम गया हो और आप ब्रह्म से एक हो गए हों।”
कैसे पहुँचे:
“अल्मोड़ा से रानीखेत रोड पर 19 किलोमीटर की दूरी तय कर के आप कटारमल पहुँच सकते हैं।थोड़ा ट्रेक है, पर वो ट्रेक भी एक आध्यात्मिक यात्रा बन जाता है।”
✨ समापन:
“कटारमल सूर्य मंदिर कोई भीड़-भाड़ वाला तीर्थ नहीं,यह उन यात्रियों के लिए है –जो शांति की तलाश में हैं,जो इतिहास में छिपी दिव्यता को देखना चाहते हैं।
यह मंदिर आज भी सूर्य की उस पहली किरण को अपने हृदय में समेटे खड़ा है –जो हर आत्मा को कहती है –जागो, प्रकाश को आत्मसात करो…”
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