जब-जब इस पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा है,जब-जब पाप ने धर्म को दबाया है,जब-जब सज्जन दुखी हुए हैं और असुरों ने आकाश तक हाहाकार फैलाया है,तब-तब भगवान ने लिया है अवतार।
त्रेता में राम के रूप में,द्वापर में कृष्ण के रूप में,और अब…कलियुग में, जब अंधकार अपने चरम पर होगा,तब आएंगे भगवान विष्णु के अंतिम अवतार — कल्कि।
श्रीमद्भागवत और अन्य पुराणों में उल्लेख है —जब कलियुग अपने अंतिम चरण में होगा,जब मनुष्य लोभ, मोह और अधर्म में डूब जाएगा,जब पुत्र पिता का आदर नहीं करेगा,जब सत्य केवल किताबों में रह जाएगा,और जब धर्म का दीपक बुझने लगेगा…तब, शंभल ग्राम में प्रकट होंगे एक दिव्य बालक —”कल्कि”।
उनके पिता होंगे विश्वनाथ और माता होंगी सुमति।जैसे-जैसे वे बड़े होंगे, उनके भीतर भगवान विष्णु का तेज प्रकट होता जाएगा।जब समय आएगा,देवता स्वर्ग से उन्हें देंगे देवदत्त — एक श्वेत अश्व (घोड़ा),और एक दिव्य तलवार — जो पापियों का नाश करेगी।वे घोड़े पर सवार होकर, पूरे संसार में धर्म की स्थापना के लिए निकल पड़ेंगे।कल्कि अवतार, न केवल दुष्टों का अंत करेंगे,
बल्कि एक नया युग — सत्ययुग की शुरुआत करेंगे।
हम सब उस युग में जी रहे हैं,जहां अधर्म धीरे-धीरे बढ़ रहा है…शायद हम नहीं,पर हमारी संतति उस दिन की साक्षी बनेगी —जब धरती पर फिर से धर्म की जय होगी,जब फिर से “हरि” आएंगे — कल्कि रूप में।
आइए, प्रार्थना करें…
कि हम अपने भीतर के अधर्म का नाश करें,कि हम सत्पथ पर चलें,कि जब भगवान आएं…तो हम उनके स्वागत योग्य बन सकें।
जय श्री विष्णु।
जय कल्कि अवतार।