- कलियुग, जो कि चार युगों में अंतिम और सबसे जटिल युग माना जाता है, इसमें नैतिकता और धार्मिकता में गिरावट देखने को मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, इस युग में कई ऐसी बातें हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए ताकि आध्यात्मिक और नैतिक पतन से बचा जा सके। आइए जानें कि कलियुग में हमें किन-किन चीजों से परहेज करना चाहिए।
1. अधर्म और अनैतिक कार्यों से बचे
कलियुग में अधर्म और अनैतिकता का बोलबाला रहता है। चोरी, झूठ, कपट, बेईमानी, और धोखाधड़ी से बचना चाहिए। ये सभी कर्म न केवल हमारे कर्मों को दूषित करते हैं, बल्कि हमारे आत्मिक विकास को भी बाधित करते हैं।
2. क्रोध और अहंकार का त्याग करें
क्रोध और अहंकार व्यक्ति को बर्बादी की ओर ले जाते हैं। विशेष रूप से इस युग में, ये दो दोष मानवता के विनाश का प्रमुख कारण बन सकते हैं। अतः संयम और विनम्रता का पालन करना आवश्यक है।
3. धर्म और आध्यात्मिकता से विमुख न हों
कलियुग में भौतिक सुख-सुविधाओं की चकाचौंध में लोग धर्म और आध्यात्मिकता से दूर होते जा रहे हैं। हमें नित्य भगवान का स्मरण, जप, और सत्संग करना चाहिए ताकि मन और आत्मा को शुद्ध रखा जा सके।
4. बुरे संगति से बचें
कुसंगति व्यक्ति को पथभ्रष्ट कर सकती है। गलत आदतें, नशा, जुआ, और अन्य बुरी संगतियों से दूर रहना चाहिए। ये बुरी संगत जीवन को गर्त में ले जाती है और मानसिक शांति भी छीन लेती है।
5. अहंकार और धन के लोभ से दूर रहें
धन और अहंकार का मोह सबसे अधिक विनाशकारी होता है। इस युग में लोग पैसे और प्रतिष्ठा के पीछे भागते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि यह सब क्षणिक होता है। संतोष और सेवा का भाव अपनाना चाहिए।
6. माता-पिता और गुरु का अनादर न करें
कलियुग में लोगों में बड़ों के प्रति सम्मान की भावना कम होती जा रही है। माता-पिता और गुरुजन हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं। उनका सम्मान करना और उनकी आज्ञा का पालन करना हमारे कर्तव्यों में आता है।
7. असत्य और छल-कपट से बचें
असत्य और छल-कपट का मार्ग अंततः दुःख और संकट की ओर ले जाता है। सत्य बोलना और ईमानदारी का पालन करना ही आत्मा की शुद्धि का मार्ग है।
निष्कर्ष:
कलियुग में सही मार्ग पर चलना कठिन अवश्य है, लेकिन असंभव नहीं। यदि हम धर्म, सत्य, अहिंसा और सेवा के मार्ग पर चलते हैं, तो हम न केवल इस युग के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं, बल्कि आत्मिक उन्नति भी प्राप्त कर सकते हैं।