
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, माता कुंजापुरी मंदिर का संबंध सती की कथा से है। भगवान शिव की पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता राजा दक्ष द्वारा किए गए अपमान को सहन नहीं कर पाईं, तो उन्होंने हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। जब भगवान शिव को इस घटना का पता चला, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने सती के शरीर को अपने कंधे पर उठाकर तांडव करना शुरू कर दिया।
माता कुंजापुरी मंदिर से हिमालय पर्वत श्रृंखला, गंगा घाटी और ऋषिकेश का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। नवरात्रि और विशेष पर्वों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

मंदिर ऋषिकेश से लगभग 25 किमी और नरेंद्रनगर से 7 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 300 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, लेकिन जैसे ही भक्त माँ के दरबार में पहुँचते हैं, उन्हें एक अद्भुत आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।
माता कुंजापुरी मंदिर आस्था और भक्ति का एक अनमोल धरोहर है, जहाँ हर भक्त को दिव्यता और शक्ति का अनुभव होता है।