कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड – कुंजापुरी मंदिर ऋषिकेश कैसे पहुंचें

                                                          कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड – कुंजापुरी मंदिर ऋषिकेश कैसे पहुंचें
कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड का सुंदर दृश्य, हिमालय की पृष्ठभूमि में उगते सूरज के साथ
कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड का सुंदर दृश्य, हिमालय की पृष्ठभूमि में उगते सूरज के साथ

उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर बसे हर तीर्थ का अपना एक अलग ही महत्व है, और इन्हीं पवित्र स्थानों में से एक है कुंजापुरी देवी मंदिर, जो टिहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित है। यह मंदिर 13 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और यहां माता कुंजापुरी का वास है। यह स्थान न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी अद्वितीय है।

कुंजापुरी देवी मंदिर का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किए। जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे, वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई। कहा जाता है कि माता का ऊपरी धड़ (ऊर्ध्व भाग) इसी स्थान पर गिरा था, और यहीं पर माता को कुंजापुरी देवी के रूप में पूजा जाता है।मंदिर का निर्माण पौराणिक काल में हुआ माना जाता है, लेकिन वर्तमान में इसका स्वरूप आधुनिक रूप से पुनर्निर्मित किया गया है। इस मंदिर की चोटी से हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों  चौखंभा, गंगोत्री, बंदरपूंछ और स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रृंखलाएँ — स्पष्ट दिखाई देती हैं।

कुंजापुरी मंदिर की धार्मिक महिमा

कुंजापुरी देवी को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। नवरात्रों के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु माता को नारियल, चुनरी, फूल और प्रसाद अर्पित करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहाँ माता का दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।कुंजापुरी माता साधकों और योगियों के लिए भी एक ऊर्जास्थल है — यहाँ ध्यान और साधना से आध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति होती है।

कुंजापुरी मंदिर की अद्भुत सुबह

कुंजापुरी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहाँ का सूर्योदय दर्शन है।सुबह के समय जब सूर्य की पहली किरणें हिमालय की चोटियों पर गिरती हैं, तो पूरा वातावरण सुनहरी आभा से भर जाता है।यह दृश्य इतना मनमोहक होता है कि जो एक बार देख ले, वह कभी नहीं भूल पाता।अक्सर पर्यटक और साधक सुबह 4 बजे ही निकल पड़ते हैं ताकि सूर्योदय के समय मंदिर पहुँच सकें।


कुंजापुरी देवी मंदिर कैसे पहुँचें

ऋषिकेश से कुंजापुरी मंदिर की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है।
आप यहाँ तक टैक्सी, बाइक या स्थानीय बस से आसानी से पहुँच सकते हैं।

  • ऋषिकेश से: नरेंद्रनगर होते हुए कुंजापुरी मंदिर के लिए मार्ग जाता है।

  • देहरादून से: आप ऋषिकेश या नरेंद्रनगर तक बस/कैब लेकर आगे बढ़ सकते हैं।

  • ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए यह स्थान विशेष आकर्षण का केंद्र है — ऋषिकेश से कुंजापुरी तक लगभग 6-7 किलोमीटर की सुंदर ट्रेकिंग पथ भी उपलब्ध है।मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क से लगभग 300 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सीढ़ियाँ चढ़ते समय जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती है, वैसे-वैसे दृश्य और भी मनमोहक हो जाता है।

कुंजापुरी में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व

  1. नवरात्र: यहाँ नवरात्रों के दौरान विशेष पूजा और भंडारे आयोजित किए जाते हैं।

  2. दुर्गा अष्टमी और नवमी: इस दिन माता को विशेष श्रृंगार और आरती से सजाया जाता है।

  3. विवाह और मुंडन संस्कार: कई श्रद्धालु यहाँ अपने बच्चों के मुंडन संस्कार करवाने आते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।

ध्यान और योग के लिए श्रेष्ठ स्थान

कुंजापुरी की ऊँचाई लगभग 1676 मीटर है। यहाँ का वातावरण शांत, निर्मल और ऊर्जावान है।ऋषिकेश के कई योग शिक्षक यहाँ अपने शिष्यों को सूर्य ध्यान और प्राणायाम साधना के लिए लेकर आते हैं।यह स्थान वास्तव में योग और ध्यान के लिए आदर्श स्थल है।

प्राकृतिक सौंदर्य और अद्भुत दृश्य

कुंजापुरी मंदिर से आप एक साथ हिमालय की ऊँची चोटियाँ और नीचे बहती गंगा नदी का संगम देख सकते हैं।शाम को यहाँ से सूर्यास्त का नज़ारा भी अद्भुत लगता है।मंदिर के चारों ओर देवदार और चीड़ के वृक्ष हैं जो वातावरण को और भी पवित्र बना देते हैं।

कुंजापुरी देवी मंदिर यात्रा का महत्व

कहा जाता है कि जो भक्त कुंजापुरी, सूरकंडा देवी, और चंद्रबदनी देवी — इन तीनों शक्तिपीठों का दर्शन कर लेता है, उसे विशेष पुण्य प्राप्त होता है।इन तीनों मंदिरों को मिलाकर इन्हें त्रिकोणीय शक्ति पीठ कहा जाता है।

कुंजापुरी देवी मंदिर पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. कुंजापुरी देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
➡️ यह मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले में, ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर दूर नरेंद्रनगर के पास एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।

2. कुंजापुरी देवी मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
➡️ यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि माता सती का ऊपरी धड़ (ऊर्ध्व भाग) यहीं गिरा था, इसलिए यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।

3. कुंजापुरी मंदिर पहुँचने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
➡️ अक्टूबर से अप्रैल का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान मौसम साफ रहता है और आप हिमालय की चोटियों का स्पष्ट दर्शन कर सकते हैं।

4. क्या कुंजापुरी मंदिर में ट्रेकिंग की जा सकती है?
➡️ हाँ, ऋषिकेश से कुंजापुरी तक लगभग 6 से 7 किलोमीटर का सुंदर ट्रेकिंग मार्ग है, जो प्रकृति प्रेमियों और योग साधकों के लिए बहुत आकर्षक है।

5. कुंजापुरी मंदिर से क्या दृश्य दिखाई देते हैं?
➡️ यहाँ से आप चौखंभा, गंगोत्री, स्वर्गारोहिणी और बंदरपूंछ पर्वत श्रृंखलाएँ देख सकते हैं। साथ ही, सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य अद्भुत होता है।

6. क्या कुंजापुरी मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियाँ हैं?
➡️ हाँ, सड़क से मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 300 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

7. क्या कुंजापुरी मंदिर में ठहरने की सुविधा है?
➡️ मंदिर के आसपास कुछ छोटे धार्मिक विश्राम स्थल और होटल उपलब्ध हैं। अधिकतर लोग ऋषिकेश में ठहरकर सुबह मंदिर के लिए निकलते हैं।

8. क्या कुंजापुरी देवी मंदिर फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त है?
➡️ बिल्कुल! यह स्थान फोटोग्राफ़रों के लिए स्वर्ग जैसा है — यहाँ से हिमालय, सूर्योदय और घाटियों के मनोहर दृश्य कैद किए जा सकते हैं।

9. कुंजापुरी देवी मंदिर से जुड़े अन्य शक्तिपीठ कौन से हैं?
➡️ कहा जाता है कि कुंजापुरी, सूरकंडा देवी और चंद्रबदनी — इन तीनों मंदिरों का दर्शन करने से त्रिकोणीय शक्ति पीठ यात्रा पूर्ण मानी जाती है।

10. कुंजापुरी देवी मंदिर का दर्शन करने का लाभ क्या है?
➡️ माता कुंजापुरी के दर्शन से मन की शांति मिलती है, भय और दुख दूर होते हैं, तथा जीवन में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होता है।

कुंजापुरी देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि आत्मशांति, ऊर्जा और आस्था का प्रतीक है।यदि आप कभी ऋषिकेश या नरेंद्रनगर जाएँ, तो इस दिव्य शक्ति स्थल का दर्शन ज़रूर करें।यहाँ की हवा में भक्ति, शांति और माँ की शक्ति का एहसास एक साथ मिलता है।

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83 thoughts on “कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड – कुंजापुरी मंदिर ऋषिकेश कैसे पहुंचें”

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