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नवरात्रि में कन्या पूजन बिना लड़के के अधूरा क्यों माना जाता है?

नवरात्रि में कन्या पूजन बिना लड़के के अधूरा क्यों माना जाता है?

नवरात्रि में कन्या पूजन बिना लड़के के अधूरा क्यों माना जाता है?https://bhakti.org.in/navratri-kanya-puja-bina-ladke/

नवरात्रि माँ दुर्गा की साधना और उपासना का सबसे बड़ा पर्व है। नौ दिनों तक भक्त माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। उपवास, हवन, पाठ, जप और भक्ति गीतों से वातावरण को पवित्र बनाया जाता है।

लेकिन इस साधना की पूर्णता अष्टमी या नवमी के दिन होने वाले कन्या पूजन (कंजक पूजन) से होती है। परंपरा यह है कि 2 से 10 वर्ष की बालिकाओं को माँ दुर्गा का रूप मानकर पूजित किया जाता है। साथ ही एक छोटे बालक को भी पूजन में बैठाया जाता है, जिसे भैरव या लांगूरा स्वरूप माना जाता है।

अब प्रश्न यह उठता है कि—जब कन्याओं की पूजा की जा रही है, तो फिर लड़के को क्यों बैठाया जाता है? और उसके बिना यह पूजन अधूरा क्यों माना जाता है?

🌺 शास्त्रीय आधार

1. भैरव रूप की महत्ता

शास्त्रों में उल्लेख है कि देवी दुर्गा के बिना भैरव अधूरे हैं और भैरव के बिना देवी की पूजा अधूरी है।

देवी शक्ति हैं,

और भैरव उस शक्ति के रक्षक।

इसलिए कन्या पूजन में एक लड़के को शामिल करना इस तथ्य का प्रतीक है कि शक्ति और उसका रक्षक दोनों साथ हैं।


2. कन्याएँ देवी, लड़का भैरव

छोटी बालिकाएँ माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक हैं।

जबकि वह एक छोटा लड़का भैरव या बाल गणेश स्वरूप का प्रतीक होता है।


इसीलिए उसे कन्याओं के साथ भोजन कराना और पूजन करना अनिवार्य माना गया है।

3. धार्मिक परंपरा

कई पुराणों और स्थानीय मान्यताओं में उल्लेख है कि कन्या पूजन के साथ एक बालक का होना माँ दुर्गा को प्रसन्न करता है, क्योंकि यह स्त्री और पुरुष शक्ति के संतुलन का प्रतीक है।


🌸 आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

1. शक्ति और रक्षक का संगम

नवरात्रि में हम शक्ति की उपासना करते हैं। लेकिन शक्ति तभी पूर्ण है जब उसका रक्षक हो। भैरव स्वरूप बालक इस बात का प्रतीक है कि स्त्री और पुरुष, दोनों मिलकर समाज का संतुलन बनाए रखते हैं।

2. बचपन की पवित्रता

बालिकाएँ निर्मलता और करुणा का प्रतीक हैं। वहीं छोटा बालक उत्साह, रक्षा और संकल्प का प्रतीक होता है। इन दोनों का पूजन जीवन के संतुलन का संदेश देता है।

3. समानता का संदेश

कन्या पूजन के साथ एक लड़के को शामिल करना समाज को यह सिखाता है कि नारी और पुरुष दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बिना जीवन और धर्म अधूरा है।

🌺 बिना लड़के के पूजन अधूरा क्यों?

1. परंपरा की अपूर्णता

यदि केवल कन्याओं को पूजकर बालक को छोड़ दिया जाए तो पूजन अधूरा माना जाता है। यह ठीक वैसे है जैसे यज्ञ में अंतिम आहुति न दी जाए।

2. संतुलन की कमी

कन्याएँ शक्ति हैं, लेकिन शक्ति का सही उपयोग तभी होता है जब उसके साथ रक्षक शक्ति मौजूद हो। इसीलिए लड़के का शामिल होना आवश्यक है।

3. धार्मिक मान्यता

मान्यता है कि यदि लड़के (भैरव) का पूजन न किया जाए तो कन्या पूजन का फल अधूरा रह जाता है। माँ दुर्गा तभी पूर्ण रूप से प्रसन्न होती हैं जब उनका रक्षक स्वरूप भी पूजित होता है।

🌸 कन्या और भैरव पूजन की विधि


1. 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित करें।


2. एक छोटे लड़के (आमतौर पर 5–10 वर्ष) को भी बुलाएँ।


3. सबसे पहले सबके चरण धोएँ और स्वच्छ आसन पर बैठाएँ।


4. उनके माथे पर तिलक करें और चुनरी, फूल चढ़ाएँ।


5. उन्हें हलवा, पूड़ी और चना का प्रसाद कराएँ।


6. कन्याओं के साथ उस लड़के को भी भोजन कराएँ।


7. अंत में उन्हें दक्षिणा, उपहार या खिलौने देकर विदा करें।


🌺 आधुनिक दृष्टिकोण



आज के समय में कई लोग पूछते हैं कि यदि लड़का उपलब्ध न हो तो क्या करें?

इसके लिए शास्त्रों में कहा गया है कि पूजन का सबसे बड़ा आधार श्रद्धा है।

यदि लड़का न मिले तो केवल कन्याओं का पूजन भी किया जा सकता है।

लेकिन जहाँ संभव हो, वहाँ एक छोटे बालक को भी शामिल करना श्रेष्ठ माना गया है।


❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)


प्रश्न 1: कन्या पूजन में लड़के को क्यों शामिल किया जाता है?
उत्तर: उसे भैरव या लांगूरा स्वरूप माना जाता है, जो शक्ति का रक्षक है।

प्रश्न 2: क्या लड़के के बिना कन्या पूजन अधूरा है?
उत्तर: हाँ, परंपरानुसार अधूरा माना गया है। लेकिन यदि श्रद्धा से कन्या पूजन किया जाए और लड़का उपलब्ध न हो तो पूजा का फल फिर भी मिलता है।

प्रश्न 3: लड़के की उम्र कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: सामान्यत: 5 से 10 वर्ष की उम्र का लड़का उपयुक्त माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या घर का बेटा भी पूजन में शामिल किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, घर का बेटा भी भैरव स्वरूप मानकर शामिल किया जा सकता है।

प्रश्न 5: यदि केवल लड़का ही उपलब्ध हो और कन्याएँ न हों तो क्या करें?
उत्तर: नवरात्रि का पूजन मुख्यत: कन्याओं के लिए है। लड़का केवल पूरक रूप से शामिल होता है। इसलिए यदि केवल लड़का हो तो पूजन अधूरा माना जाएगा।

प्रश्न 6: लड़के को क्या भेंट देनी चाहिए?
उत्तर: प्रसाद (हलवा, पूरी, चना) के साथ खिलौना, कपड़े, किताब या दक्षिणा दी जा सकती है।

प्रश्न 7: क्या हर साल लड़का शामिल करना अनिवार्य है?
उत्तर: हाँ, जहाँ संभव हो वहाँ हर बार एक बालक को शामिल करना चाहिए।


-नवरात्रि का पर्व केवल शक्ति की साधना नहीं है, बल्कि संतुलन और पूर्णता का संदेश है।

कन्याएँ माँ दुर्गा का प्रतीक हैं।

लड़का भैरव स्वरूप है, जो शक्ति का रक्षक है।


बिना लड़के (भैरव) के कन्या पूजन अधूरा माना जाता है क्योंकि यह शक्ति और रक्षक दोनों के संगम का उत्सव है।

इसलिए हर भक्त को चाहिए कि श्रद्धा और भक्ति के साथ कन्याओं और एक बालक दोनों का पूजन करे और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करे।

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