Kalash Sthapana 2025: इस शुभ योग में करें कलश स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त, विधि
29 मार्च – चार मुखी दीपक जलाने का महत्वनवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यहाँ हम आपको नवरात्रि की सही पूजा विधि बता रहे हैं—
https://bhakti.org.in/kalash-sthapana-2025/भारत में धार्मिक पर्वों का महत्त्व न केवल सामाजिक होता है बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत गहरा है। उनमे से एक है शारदीय नवरात्रि का आरंभ, जिसमें पहली सुबह की शुरुआत होती है कलश स्थापना से। इस वर्ष, 2025 में यह पर्व 22 सितंबर से आरंभ हो रहा है। और उसी के साथ प्रथम दिन की सुबह में किया जाता है कलश (घट) स्थापना का महत्वपूर्ण संस्कार।
1. शुभ मुहूर्त
इस वर्ष के लिए कलश स्थापना (घटस्थापना) का मुख्य शुभ मुहूर्त सुबह 06:09 AM से 08:06 AM तक माना गया है। दि इस समय में संभव न हो सके, तो एक विकल्प मुहूर्त है “अभिजित मुहूर्त” जो लगभग 11:49 AM से 12:38 PM के बीच दिया गया है।
ध्यान दें– ये समय सामान्य भारतीय समयानुसार हैं; आपके स्थानीय स्थान के अनुसार थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है इसलिए स्थानिक पंचांग व पंडित से अवश्य परामर्श लें।
2. महत्व व आवश्यकता
कलश स्थापना अर्थात घटस्थापना उस पूजा-आरंभ का प्रतीक है जिसमें हम देवी-शक्ति को अपने घर, अपने स्थान पर आमंत्रित करते हैं। यह कहना कठिन नहीं कि यह एक मूलभूत संस्कार है, जो नवरात्रि के नौ दिनों की आराधना एवं व्रत-धर्म का आधार बनता है।
‘कलश’ में स्थित जल, आम के पत्ते, नारियल आदि प्रतीक रूप से समस्त ब्रह्माण्ड, शक्ति, समृद्धि व धार्मिकता का प्रतीक माने जाते हैं।
यदि इसे सही मुहूर्त में तथा विधिपूर्वक किया जाए तो कहा जाता है कि पूरे नवरात्रि पर्व के दौरान उस स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और देवी-भक्ति एवं ध्यान की प्रकिया सुदृढ़ होती है।
3. तैयारी-सामग्री
कलश स्थापना के लिए पूर्व-तैयारी करना आवश्यक है, ताकि पूजा सहज, सुगम व प्रभावी हो। निम्नलिखित सामग्री तैयार रखें:
एक कलश (तांबे, ब्रास या मिट्टी का हो सकता है)
शुद्ध जल (गंगा-जल यदि संभव हो तो)
कुछ सिक्के (चाँदी/तांबा)
कुछ अनाज (चावल, गेहूँ या जौ)
बीज या जौ/चना आदि (जिसमे अंकुरण प्रतीक हो)
नारियल
आम के पत्ते (साफ एवं हरे)
लाल कपड़ा (कलश पर बांधने के लिए)
फूल-माला, धूप-दीप, अक्षत (अक्षत अर्थात बिना टूटे चावल)
पूजा-स्थान के लिए चौकी व साफ वस्त्र
अगर संभव हो तो माटी-पात्र जिसमें जौ बोया जाए (घटस्थापना के विशेष रूप में)
4. पूजा-स्थान व संकल्प
– पूरे घर या पूजा-कक्ष को पहले शुद्ध करें। सुबह स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और पूजा-स्थान को गंगाजल या शुद्ध जल से छिड़कें।
– पूजा-स्थान के सामने चौकी रखें, उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। कलश को उस चौकी पर स्थापित करें।
– कलश में जल भरें, उसमें सिक्के, अनाज व बीज रख दें।
– कलश के मुख पर आम के पत्ते लगाएं और ऊपर नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
– यदि घटस्थापना के रूप में माटी-पात्र हो, तो उसमें जौ/बीज बो कर उस पर कलश रखें।
– अब संकल्प करें: “ॐ हम देवी मातृका को अपना निवास करने के लिए आमंत्रित करते हैं, यह कलश तथा यह जल-प्रतीक हमारी समृद्धि, रक्षा एवं श्रद्धा का प्रतीक है।” (स्थानिक पंडित द्वारा दी गई संकल्पवृत्ति का पाठ करें)
5. मंत्र एवं आह्वान
कलश स्थापना के समय निम्नलिखित मंत्रों का पाठ किया जाता है:
“ॐ जयन्ती मंगलाकाली भद्राकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमाशिवधात्रि स्वाहा स्वधा नमो स्तुते॥”
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इसके बाद आप निम्न प्रकार से आहुति दें:
– दीप जलाएं, धूप लगाएं।
– अक्षत डालें, पुष्प अर्पित करें।
– कनक-मणि-आवरण आदि देवी स्वरूप को ध्यान में रखें व मन में आराधना भाव रखें।
पूजा समाप्ति पर आरती करें एवं माँ शक्ति की आराधना करें।
6. कलश की स्थापना के बाद देखभाल
– एक बार कलश स्थापित करने के बाद उसे बार-बार स्थान न बदलें। इससे स्थिरता बनी रहती है। India Today
– कलश में रखा जल प्रतिदिन बदलें या कम-से-कम निर्जल नहीं छोड़ें, अगर संभव हो तो पानी को शुद्ध व स्वच्छ रखें।
– नौ दिन के दौरान प्रतिदिन उस स्थान पर दीप जलाएं व भजन-कीर्तन या माता की आराधना करें।
– व्रत या पूजा के दौरान मन को शांत, नैतिक व संयमित रखें—भक्तिभाव सबसे महत्वपूर्ण है। radhakrishnatemple.net
7. क्या-क्या करें और क्या-क्या अवॉइड करें
पूजा-कक्ष व कलश के आसपास साफ-सफाई रखें।
पूजा के दौरान मोबाइल, अनावश्यक आवाज-व्यवहार को नियंत्रित करें।
यदि संभव हो तो जैसे-जैसे दिवस बढ़े, माता के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना करें (यह पूरे नवरात्रि का भाग है)।
रात में कलश को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
अगर संस्कार के समय में मुहूर्त बहुत बदल गया है तो पंडित से सलाह लें।
पूजा-समय में अशुभ विचार, विवाद या अशुद्ध व्यवहार से दूर रहें।
8. विशेष टिप्स (क्षेत्र-विशेष एवं आपकी सुविधा हेतु)
यदि आप शहर-क्षेत्र में रहते हैं, तो स्थानीय समयानुसार मुहूर्त में ± कुछ मिनट का अंतर हो सकता है; इसलिए अपने शहर के पंचांग देखें।
यदि सुबह मुहूर्त मिस हो गया हो, तो अभिजित मुहूर्त का उपयोग करें।
बच्चों या परिवार के साथ पूजा करते समय उन्हें भी सरल भाव से समझाएं कि यह कलश क्यों रखा जाता है — विज्ञान-सिद्ध वृक्ष, जल व प्रकृति का प्रतीक इत्यादि।
कलश स्थापना के बाद पूरे नवरात्रि के दौरान उस स्थान पर हल्की धूप-दीप, भजन-धून आदि रखें जिससे ऊर्जा बनी रहे।
पूजा समाप्ति पर स्वयं, परिवार व मित्रों को शुभकामनाएँ देना न भूलें—“शुभ नवरात्रि” कहकर प्रेम व शुभ-इच्छा प्रस्तुत करें।
9. समापन व निष्कर्ष
इस प्रकार, वर्ष 2025 में कलश स्थापना (घटस्थापना) एक अत्यंत पवित्र अवसर है — जो सुबह 06:09 AM से 08:06 AM तक का प्रमुख मुहूर्त प्रदान करता है। इस समय में विधिपूर्वक कलश स्थापि करके, ॐ-संकल्प व मंत्र-पाठ द्वारा आप अपने घर-परिवार में देवी-शक्ति की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं।
पूजा के दौरान सिर्फ क्रियाएँ नहीं, बल्कि आपकी श्रद्धा, भक्ति व शुद्ध मनोभाव सबसे प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कलश को स्थापित करके हम स्वयं-भी स्व-शक्ति सकारात्मक ऊर्जा व समृद्धि के मार्ग पर कदम रखते हैं।
इस आरंभिक संस्कार के बाद आने वाले नौ दिनों में प्रत्येक दिन माता के एक रूप की आराधना, व्रत या उपवास का पालन, मनःशुद्धि और सामाजिक सद्भाव ही हमें पूर्ण लाभ देगा।
अतः तैयार हो जाइए — सुबह नहाकर, साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर, घर के पूजा-स्थान में कलश स्थापना की विधि अनुसार आरंभ करें। आपकी भक्ति-भावना, आपका संयम और आपकी श्रद्धा—यह तीनों मिलकर इस शुभ कार्य को सफल बनाएँगे।
शुभ कलश स्थापना व शुभ नवरात्रि!