गुरुतेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस – फरीदकोट से अमृतसर तक श्रद्धा, सेवा और वीरता का पवित्र नगर कीर्तन”

गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस – फरीदकोट से अमृतसर तक श्रद्धा, सेवा और वीरता का पवित्र नगर कीर्तन”

Large Sikh Nagar Kirtan procession with Panj Pyare leading and a decorated Palki Sahib during Guru Taj Bahadur Ji’s 350th Shaheedi Diwas.”
“Sacred Nagar Kirtan on the 350th Shaheedi Diwas of Shri Guru Tegbahadur Ji from Faridkot to Amritsar.”https://bhakti.org.in/guru-tajbahadur-350/

एक दिव्य यात्रा की शुरुआत

श्री गुरु तेग बहादुर जी, जिन्हें पूरा संसार हिन्द–दी–चादर के नाम से जानता है, उनका शहीदी दिवस केवल इतिहास का अध्याय नहीं बल्कि मानवता की रक्षा का वह उज्ज्वल प्रकाश है जो 350 वर्षों से संसार में अमर है।फ़रीदकोट से मोगा होते हुए अमृतसर तक निकाला जा रहा यह नगर कीर्तन उसी बलिदानी परंपरा को जीवित रखने का एक पवित्र प्रयत्न है। यह यात्रा केवल शहरों को जोड़ने वाली सड़क नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली अनुभूति है। इसमें हर कदम पर गुरु साहिब का नाम, हर सांस में गुरुवाणी की मिठास और हर क्षण में सेवा-भाव का दरिया प्रवाहित होता है।

फ़रीदकोट — श्रद्धा का प्रारंभ

फ़रीदकोट की गलियों में सुबह-सुबह के समय जैसे ही नगाड़ों और शंखनाद की आवाज गूँजती है, पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंग जाता है।संगत पंच प्यारों की अगुवाई में सज-धजकर खड़ी होती है।नीले–केसरिए बाने में सिख नौजवान, बुढ़े, महिलाएँ और बच्चे — सब गुरु साहिब का नाम जपते खड़े होते हैं।फूलों से सजी सड़कों पर जब पलकी साहिब आगे बढ़ती है, तो ऐसा लगता है जैसे स्वयं श्री गुरु तेग बहादुर जी अपनी करुणा की छाया बनकर इस यात्रा का हिस्सा हों।

यहाँ से यात्रा केवल आगे नहीं बढ़ती—
यह दिलों में एक नई जागृति जगाती है।

गुरु तेग बहादुर जी का आदर्श — त्याग की पराकाष्ठा

गुरु साहिब का जीवन बहुत शांत, सरल और संतों जैसा रहा।
उन्होंने हमें सिखाया—

“डर के आगे आध्यात्मिकता है”

“सत्य के लिए प्राण देना आसान नहीं, पर यही धर्म की असली रक्षा है”

“जो हरे को हराए वह शूरवीर है, पर जो स्वयं को हराए वही असली वीर है”

कश्मीर के पंडितों की पुकार सुनकर गुरु साहिब ने वह अमर वचन कहा—

“सीस दिया पर सिर न दिया”

यानी अपने शीश का बलिदान दिया, पर धर्म का सिर झुकने नहीं दिया।

उनकी यह शहादत पूरे संसार के लिए संदेश है कि
धर्म केवल पूजा नहीं—धर्म है हर इंसान को जीने का अधिकार देना।

 मोगा – सेवा, समर्पण और संगत का महासागर

मोगा पहुँचते–पहुँचते यात्रा का जोश अपने चरम पर पहुँच जाता है।
यहाँ सेवा करने वालों की भीड़ देखकर लगता है कि मानो पूरा शहर गुरु साहिब को समर्पित हो गया हो।

हर ओर:

विशाल लंगर

चाय–जल सेवा

गुरुवाणी का अखंड पाठ

चिकित्सा कैंप

नि:शुल्क पानी वितरण

छोटी-छोटी संगतें जो राहगीरों को फल और मिठाइयाँ बाँट रही हैं

यह दृश्य दर्शाता है कि सिख परंपरा सेवा के बिना अधूरी है।

यह नगर कीर्तन जैसे–जैसे आगे बढ़ता है,
कीर्तन की मिठास, ढोलों की थाप, और ‘वाहेगुरु’ से भरी हवा का स्पंदन मन को भीतर से पवित्र करता चलता है।

गटका कला – शौर्य की झलक

यात्रा के बीच-बीच में बच्चों और नौजवानों द्वारा दिखाया जाने वाला गटका केवल एक कला नहीं, बल्कि साहस, अनुशासन और आध्यात्मिक युद्धक कौशल का प्रतीक है।

गुरु तेग बहादुर जी ने हमें बताया:

“शस्त्र केवल लड़ाई के लिए नहीं—धर्म की रक्षा के लिए होते हैं।”

उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गटका दल अपनी अद्भुत कला से संगत का मन मोह लेते हैं।

यात्रा में शामिल हजारों कदम — एक ही लक्ष्य के लिए

इस नगर कीर्तन में शामिल हर व्यक्ति आशा, भक्ति और प्रेम का वाहक है।
कोई व्यक्ति थकान महसूस नहीं करता, क्योंकि यह यात्रा शरीर से नहीं—
आत्मा से तय की जाती है।

बच्चे अपनी छोटी पगड़ियाँ सजाकर चलते हैं,
माताएं सिर पर दुपट्टा बाँधकर बाणी का जप करती हैं,
वृद्ध संगत छड़ी के सहारे पर भी गुरु साहिब का नाम लेते चलते हैं।

अमृतसर — श्री हरमंदिर साहिब की पावन धरती

जब नगर कीर्तन अमृतसर की ओर बढ़ता है,
भीड़ का उत्साह और अधिक बढ़ जाता है।

अमृतसर का वातावरण अपने आप में ही पवित्र है —
यहाँ कदम रखते ही मन में शांति उतर आती है।

यात्रा का समापन जब श्री हरमंदिर साहिब में अरदास के साथ होता है,
तो ऐसा लगता है कि 350 वर्ष पहले का वह बलिदान आज भी उतना ही जीवंत है।

गुरु तेग बहादुर जी का आध्यात्मिक संदेश — आज के समय में क्यों जरूरी है?

आज की दुनिया में धर्म, भाषा, जाति और संस्कृतियों में संघर्ष बढ़ रहा है।
ऐसे समय में गुरु साहिब का संदेश सबसे आवश्यक है:

दूसरों की रक्षा करना ही सच्चा धर्म है

अहंकार छोड़ो, प्रेम अपनाओ

सत्य और साहस से बढ़कर कुछ नहीं

मानवता सबसे बड़ा मज़हब है

उनका जीवन हमें यह भी सिखाता है:

“साहस वह है—जब तुम अकेले हो, पर सत्य के लिए खड़े हो जाते हो।”

नगर कीर्तन के मार्ग में होने वाले विशेष कार्यक्रम

 शबद-कीर्तन की पुनमयी धुन

 इतिहास पर आधारित झाँकियाँ

 गुरु साहिब के जीवन की कहानियाँ

 बच्चों के विशेष कार्यक्रम

 महिला सेवा दल की जिम्मेदारी

 विशाल लंगर सेवा

 रास्तेभर की शुभकामनाएँ, स्वागत द्वार और फूल वर्षा

यात्रा का भाव — ‘मैं’ से ‘हम’ तक का सफर

यह नगर कीर्तन हमें सिखाता है कि:

  • मिलकर चलना ही संगत है

  • मिलकर सेवा करना ही समर्पण है

  • मिलकर याद करना ही श्रद्धा है

और सबसे बड़ी बात—

गुरु तेग बहादुर जी केवल सिखों के नहीं—
पूरी मानवता के गुरु हैं।

श्री गुरु तेग बहादुर जी 350वां शहीदी दिवस — एक अविनाशी संदेश

यह नगर कीर्तन आने वाली पीढ़ियों को बताता रहेगा कि
धर्म के लिए सिर देना आसान नहीं होता,
पर मानवता का सम्मान करने वाला वही सच्चा वीर है।

गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान आज भी हमें प्रेरित करता है कि—
अन्याय के सामने खड़े रहो,
भय के सामने अडिग रहो,
और सत्य के मार्ग पर चलते रहो।

अंत में, एक विनम्र प्रणाम

“श्री गुरु तेग बहादुर जी —
आपका बलिदान अमर है,
आपका संदेश अमर है,
और मानवता के लिए आपका योगदान अनंत है।”

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