क्या अर्थी देखना शुभ है या अशुभ? जानिए सही धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण”

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क्या अर्थी देखना शुभ है या अशुभ? जानिए सही धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण”

क्या यह शुभ है या अशुभ? और उस क्षण पर हमें क्या करना चाहिए ताकि हम सम्मान और समझ के साथ सही कदम उठा सकें।

october 30,2025

क्या अर्थी देखना शुभ है या अशुभ? जानिए सही धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण”
क्या अर्थी देखना शुभ है या अशुभ? जानिए सही धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण”https://bhakti.org.in/arthi-dekhna-shubh-ya-ashubh/ ‎



Last Update on 30 October 2025!नमस्कार। आज हम एक संवेदनशील — पर बहुत महत्वपूर्ण सवाल पर चर्चा करेंगे: अर्थी या मृत शरीर को देखना — क्या यह शुभ है या अशुभ? और उस क्षण पर हमें क्या करना चाहिए ताकि हम सम्मान और समझ के साथ सही कदम उठा सकें।

पहले एक बात स्पष्ट कर लें: मृत्यु जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। हर संस्कृति ने मृत्यु के साथ जुड़े नियम और रीति-रिवाज बनाए हैं — कुछ धार्मिक, कुछ सामाजिक, कुछ मनोवैज्ञानिक। इसलिए “शुभ/अशुभ” का अर्थ केवल कर्मकांड नहीं होता; यह भाव, सम्मान और परिवार की परम्पराओं का मिश्रण होता है।

1. पारंपरिक दृष्टिकोण (लोकमान्य विश्वास)

कई प्राचीन और लोक-मान्यताओं में अर्थी देखने को अशुभ माना गया है, खासकर अगर आप गर्भवती हों, शुद्ध/अशुद्ध समय की मान्यताएँ हों, या किसी विशेष राशि/योग के लोग हों। कुछ स्थानों पर कहा जाता है कि मृतक का दर्शन करने से शोक का प्रभाव या नकारात्मक ऊर्जा लग सकती है — इसलिए कुछ परिवार विशेष रीति अपनाते हैं, जैसे कि सफेद कपड़े, जल देना, मंत्र पढ़ना, या घर से बाहर निकलना।

2. धार्मिक-शास्त्रीय दृष्टिकोण

हिंदू धर्म में मृतक को अंतिम श्रद्धांजलि देना, श्राद्ध और तर्पण करना—ये सभी पुण्य का काम माने जाते हैं। पितरों की शांति के लिए परिवार की उपस्थिति और अंतिम दर्शन को सकारात्मक माना जाता है। तंत्रियों और पुरोहितों के अनुसार, यदि आपने श्रद्धा के साथ अंतिम दर्शन किया है तो यह मृतक के कल्याण के लिए अच्छा है।

3. मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण

मृतक के परिवार के लिए अंतिम दर्शन शोक प्रक्रिया का एक हिस्सा है — इससे वे अपने प्रिय को अंतिम बार निहार कर विदा कर पाते हैं। इसलिए दर्शन को ‘शुभ’ भी कहा जा सकता है — यह एक भावनात्मक मुक्ति और सामाजिक समर्थन का क्षण होता है।

तो अंतिम निष्कर्ष?
अर्थी देखना अपने आप में न तो पूरी तरह शुभ है, न ही पूरी तरह अशुभ। यह निर्भर करता है:

आपके विश्वास और परंपरा पर,

परिवार की इच्छा और संवेदनशीलता पर, और

आपके मनोवैज्ञानिक तैयार होने पर।
यदि परिवार चाह रहा है कि आप अंतिम दर्शन करें — तो यह एक सम्मान और सहायता का काम है। यदि परिवार अकेला या निजी क्षण चाहता है, तो आप उनकी भावना का सम्मान करें।

उस समय हमें क्या करना चाहिए — सरल, व्यवहारिक और सम्मानजनक निर्देश

1. परिवार की अनुमति और भावना का सम्मान करें
पहले परिवार से पूछें कि वे अंतिम दर्शन चाहते हैं या नहीं। यदि वे निजी रखना चाहें तो उनकी इच्छा का आदर करें।

2. सादगी और शालीनता
शांत और विनम्र रहें। तेज आवाज़ न करें। मोबाइल फोन अगर साथ हो तो साइलेंट मोड पर रखें।

3. वेश-भूषा
पारंपरिक तौर पर सफेद कपड़ा शोक का प्रतीक है; पर आधुनिक संदर्भ में सादे, विनम्र कपड़े उपयुक्त होते हैं। परिवार की धार्मिक परंपरा के अनुसार कपड़े चुनें।

4. शारीरिक संपर्क
अगर परिवार या परंपरा में अनुमति हो तो हाथ जोड़कर श्रद्धा दें; यदि रस्में अनुमति दे तो हाथ छूकर या माथे पर चुम्बन देकर विदा कर सकते हैं। पर विचार रखें कि कई संस्कारों में मृतक को सुलभ स्पर्श की सीमाएँ होती हैं — परिवार से पूछें।

5. मंत्र/प्रार्थना
यदि आप जानते हों तो शांति पाठ, ओम, या कोई छोटा श्रद्धामय मंत्र पढ़ सकते हैं। यह घर वालों के लिए सांत्वना बना सकता है।

6. फिजिकल चीजें (जल, पुष्प आदि)
पारंपरिक रीति के अनुसार पुष्प, तर्पण के लिए जल या दीपक रखना शुभ माना जाता है। पर परिवार के निर्देशों का पालन करें।

7. मनोवैज्ञानिक समर्थन दें
घर वालों को सुनें — “कैसे हो?” के बजाय “मैं आपके साथ हूं” जैसे वाक्य बोलें। यह ज्यादा सहानुभूति देता है।

8. किसी भी “अशुभता” से बचने के उपाय
यदि आपकी संस्कृति/परिवार कुछ कर्मकांड मानता है (जैसे स्नान करना, कपड़े बदलना, धूप-दीपक जलाना), तो उन निर्देशों का शांतिपूर्वक पालन कर लें — पर यह आपकी व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर है, किसी डर पर नहीं।

सावधानियाँ और आधुनिक सुझाव


हाइजीन का ध्यान: श्मशान या अस्पताल में संक्रमण का खतरा हो सकता है; हाथ साफ रखें और आवश्यक हो तो मास्क/ग्लव्स का उपयोग करें।

बच्चों और बुजुर्गों: छोटे बच्चों या संवेदनशील लोगों को अंतिम दर्शन के लिए मजबूर न करें। उनकी मानसिक स्थिति का ध्यान रखें।

गर्भवती महिलाओं के बारे में: कुछ परिवारों में गर्भवती महिलाओं को अंतिम दर्शन से रोका जाता है — यह धार्मिक या सामाजिक कारणों पर होता है। यदि आप गर्भवती हैं, तो अपने कंफर्ट और विचार को प्राथमिकता दें।

अर्थी देखना कोई सार्वभौमिक अशुभ क्रिया नहीं है। यह श्रद्धा, सम्मान और परिवार की भावना का मामला है। सबसे महत्वपूर्ण बात है—सम्मान और सहानुभूति। अगर परिवार चाहता है तो विनम्रता और श्रद्धा के साथ अंतिम दर्शन करें; अगर परिवार निजी रखना चाहता है तो उनकी इच्छा का आदर करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


Q1: क्या अर्थी देखने से अशुभता लगती है?
A1: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मान्यतियाँ अलग-अलग हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसा कोई प्रमाण नहीं। व्यक्तिगत और पारिवारिक विश्वास महत्वपूर्ण हैं — वही मार्गदर्शक होना चाहिए।

Q2: अगर मैं डर गया/गई तो क्या करूँ?
A2: स्वाभाविक है। आप संयम से दूर खड़े रहकर हाथ जोड़ सकते हैं या परिवार को शांत शब्दों में सांत्वना दे सकते हैं। मनोवैज्ञानिक मदद की आवश्यकता हो तो किसी मित्र या काउंसलर से बात करें।

Q3: क्या गर्भवती महिलाएं अर्थी देख सकती हैं?
A3: यह पारिवारिक और धार्मिक परंपरा पर निर्भर है। यदि आप सहज महसूस नहीं करतीं तो न जाएँ — कोई भी निर्णय किसी डर पर नहीं बल्कि आपकी शांति पर आधारित होना चाहिए।

Q4: क्या अंतिम दर्शन में कोई विशेष मंत्र बोलना आवश्यक है?
A4: आवश्यक नहीं। अगर परिवार या आप चाहते हैं तो कोई छोटा शांति-पाठ या ओम कहकर श्रद्धांजलि दी जा सकती है। सबसे जरूरी है श्रद्धा और शांति।

Q5: क्या मैं तस्वीर खींच सकता/सकती हूँ?
A5: यह बहुत संवेदनशील विषय है — परिवार से स्पष्ट अनुमति के बिना बिल्कुल भी तस्वीर न लें। अक्सर यह आपत्ति का कारण बनता है।

 

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