भगवान भैरव और काले कुत्ते की छवि जो निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है

“भैरव के वाहन से जुड़े इस भ्रम को जानिए — क्या कुत्ता रखने वाला घर अशुद्ध होता है?”

“भैरव के वाहन से जुड़े इस भ्रम को जानिए — क्या कुत्ता रखने वाला घर अशुद्ध होता है?”

भगवान भैरव और काले कुत्ते की छवि जो निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है
जहाँ कुत्ता होता है, वहाँ भैरव की कृपा सदैव बनी रहती है।” https://bhakti.org.in/bhairav-ke-vahan-kutta-ghar-ashuddh/

कई लोगों का मानना है कि जिस घर में कुत्ता रहता है, वहाँ भगवान प्रसाद स्वीकार नहीं करते।पर क्या यह सच है या केवल एक भ्रम?जानिए भगवान भैरव, कुत्ते और इस मान्यता के पीछे छिपी सच्चाई।

हिंदू धर्म में प्रत्येक प्राणी का अपना विशेष महत्व है।चाहे वह गाय हो, साँप हो या कुत्ता  हर जीव किसी न किसी देवता से जुड़ा हुआ है।इन्हीं में से एक है कुत्ता, जो भगवान काल भैरव का वाहन माना गया है।परंतु समाज में एक भ्रम फैल गया है कि “जिस घर में कुत्ता रहता है, वहाँ भगवान प्रसाद स्वीकार नहीं करते।”क्या यह वास्तव में सत्य है, या केवल परंपरा से उपजा एक मिथक?आइए इसे शास्त्रों और भावनाओं की दृष्टि से समझते हैं।

1. भगवान भैरव और उनका वाहन

भगवान भैरव, भगवान शिव का उग्र रूप हैं  जो धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करते हैं।उनका वाहन काला कुत्ता होता है, जो साहस, निष्ठा और धर्मपालन का प्रतीक है।भैरव जी की पूजा में कुत्तों को प्रसाद देना अत्यंत शुभ माना गया है।मान्यता है कि कुत्ते को रोटी या दूध खिलाने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं,और व्यक्ति के जीवन से भय, रोग व दरिद्रता दूर होती है।

 इसलिए कुत्ता अशुद्ध नहीं, बल्कि भैरव भगवान का प्रतिनिधि है।

 2. भ्रम कैसे पैदा हुआ?

प्राचीन समय में मंदिर और घरों में शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता था।कुत्ता अक्सर सड़क या आँगन में घूमता और कई वस्तुओं को सूँघता था।स्वच्छता की दृष्टि से यह उचित नहीं माना जाता था कि वह रसोई या पूजा स्थान के पास आए।धीरे-धीरे यह स्वच्छता का नियम धार्मिक “अपवित्रता” की धारणा बन गया।

लोगों ने कहना शुरू कर दिया 
“कुत्ता घर में रहेगा तो भगवान का प्रसाद स्वीकार नहीं होगा।”

लेकिन सच्चाई यह है कि भगवान भाव देखते हैं, स्थान नहीं।

 3. शास्त्रों का क्या कहते हैं?

किसी भी वेद, उपनिषद या पुराण में यह नहीं लिखा कि भगवान कुत्ता रखने वाले घर का प्रसाद अस्वीकार करते हैं।इसके विपरीत, गरुड़ पुराण और महाभारत दोनों में कुत्ते को धर्म का प्रतीक माना गया है।

गरुड़ पुराण में कहा गया है —
“कुत्तः धर्मस्य रक्षकः” — अर्थात “कुत्ता धर्म का रक्षक है।”

महाभारत के अंतिम प्रसंग में जब युधिष्ठिर स्वर्ग की ओर जा रहे थे,
उनके साथ एक कुत्ता भी चल रहा था।
अंत में वह कुत्ता धर्मराज यम के रूप में प्रकट हुआ।

यह प्रसंग सिद्ध करता है कि कुत्ता अशुद्ध नहीं, बल्कि धर्मस्वरूप है।

 4. भक्ति में स्थान नहीं, भाव मायने रखता है

भगवान कभी किसी वस्तु की बाहरी पवित्रता नहीं देखते।उनके लिए महत्वपूर्ण है  भक्ति का भाव और सच्चाई

अगर कोई व्यक्ति प्रेमपूर्वक प्रसाद बनाता है,
और हृदय से भगवान को अर्पित करता है,
तो वह प्रसाद देवता स्वयं स्वीकार करते हैं —
चाहे उस घर में कुत्ता, बिल्ली या कोई अन्य प्राणी ही क्यों न रहता हो।

 भगवान भोग से नहीं, भाव से प्रसन्न होते हैं।


 5. कुत्ता — प्रेम और निष्ठा का प्रतीक

कुत्ता संसार का सबसे वफ़ादार जीव है।वह अपने स्वामी के प्रति अटूट प्रेम और निष्ठा रखता है।भगवान भी उसी भाव को सबसे अधिक महत्व देते हैं —जहाँ प्रेम, सेवा और सच्चाई है, वहाँ उनका वास होता है।अगर घर में कुत्ता है,तो वह उस घर की रक्षा करता है, नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है,और उस स्थान को पवित्र बनाता है।

 6. भैरव जी की कृपा से जुड़ा एक रहस्य

भैरव मंदिरों में प्रायः कुत्ते स्वतः ही आ जाते हैं।यह कोई संयोग नहीं, बल्कि संकेत है कि भैरव ऊर्जा सक्रिय है।भैरव पूजन में “काले कुत्ते को भोजन देना” एक दिव्य कार्य माना गया है।
यह दान नहीं, बल्कि सेवा का प्रतीक है।जो व्यक्ति प्रतिदिन एक कुत्ते को अन्न देता है,उसके जीवन से दरिद्रता, भय और अपशकुन दूर रहते हैं।

7. लोकमान्यता बनाम शास्त्र

लोकमान्यताएँ समय के साथ बदल जाती हैं।कई बार जो बात “व्यवहारिक सावधानी” थी,वह “धार्मिक प्रतिबंध” के रूप में प्रचारित हो गई।यही कारण है कि कुछ लोग आज भी यह मानते हैं किभगवान कुत्ता रखने वाले घर का प्रसाद स्वीकार नहीं करते।परंतु शास्त्र, तर्क और भक्ति — तीनों ही इस बात को खारिज करते हैं।

 8. सच्चा भक्त कौन?

सच्चा भक्त वह नहीं जो बाहर से पवित्र दिखे,बल्कि वह है जिसके मन में करुणा और प्रेम हो।कुत्ते जैसे निष्ठावान प्राणी की सेवा करना,भैरव भगवान की सेवा के समान है।इसलिए अगर आपके घर में कुत्ता है,तो समझिए भैरव बाबा का आशीर्वाद आपके घर में निवास कर रहा है।

 9. निष्कर्ष – भ्रम तोड़िए, भक्ति अपनाइए

कुत्ता रखने से घर अपवित्र नहीं होता।बल्कि उस घर में निष्ठा, करुणा और सुरक्षा का भाव स्थिर होता है।भगवान ऐसे घर से प्रसन्न होते हैं जहाँ जीवों के प्रति प्रेम और दया हो।

“जहाँ प्रेम और भक्ति बसती है, वहाँ भगवान स्वयं निवास करते हैं।”

इसलिए, अगली बार जब कोई कहे कि कुत्ता वाला घर अशुद्ध होता है,
तो उसे प्रेम से समझाइए कि —
कुत्ता भैरव भगवान का वाहन है, अशुद्ध नहीं, बल्कि पवित्रता का प्रतीक है।

अंतिम संदेश:

“भगवान को आपका घर नहीं, आपका हृदय चाहिए।

यदि वहाँ प्रेम और करुणा है, तो भगवान हर जीव के माध्यम से आपके पास आते हैं।”

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