“जिस जंगल में मां विष्णु माता प्रकट हुईं… वहां आज भी चमत्कार होते हैं!”

बहुत समय पहले एक छोटे से गांव में अकाल, बीमारी और अंधविश्वास का बोलबाला था। लोग भय और दुख में जी रहे थे। उस समय गांव के पास एक घना जंगल था जहाँ एक साध्वी तपस्या कर रही थी। कहते हैं कि वह कोई साधारण स्त्री नहीं थी – वह स्वयं मां विष्णु माता का अवतार थीं।
एक दिन गांव की एक बालिका बीमार होकर मृत्यु के करीब पहुंच गई।
मां विष्णु माता ने ध्यानस्थ अवस्था में उस बच्ची की पीड़ा को अनुभव किया और गांव में प्रकट हुईं। उन्होंने जल और तुलसी से बालिका को स्पर्श किया और कुछ ही पल में वह बच्ची ठीक हो गई।
गांव वाले चमत्कारी देवी के दर्शन कर चकित रह गए। मां विष्णु माता ने गांव के लोगों को सच्ची भक्ति, सेवा और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने कहा:
> “जहाँ अंधकार हो, वहाँ दीप जलाओ।
जहाँ द्वेष हो, वहाँ प्रेम फैलाओ।
और जहाँ पीड़ा हो, वहाँ करुणा बरसाओ।”
धीरे-धीरे गांव में खुशहाली लौटने लगी। रोग भागने लगे, फसलें लहलहाने लगीं और लोग अपने कर्म और भक्ति में लग गए।
मां विष्णु माता अंत में उसी जंगल में विलीन हो गईं, लेकिन वहां एक पत्थर की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई। आज भी उस स्थान पर एक छोटा-सा मंदिर है, जहाँ भक्त मनोकामना लेकर जाते हैं और कहते हैं कि सच्चे हृदय से मां विष्णु माता का स्मरण करो तो वह हर पीड़ा हर लेती हैं।
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शुभ संदेश:
मां विष्णु माता सिर्फ एक देवी नहीं,
बल्कि एक प्रेरणा हैं – सच्चाई, करुणा और भक्ति की शक्ति की।
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