“उत्तराखंड का दिव्य धाम — सुरकंडा देवी मंदिर की सच्ची कहानी”

“जय माँ सुरकंडा भवानी!”
हिमालय की गोद में, देवभूमि उत्तराखंड की ऊँचाइयों पर स्थित है — माता सुरकंडा देवी का मंदिर, जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि प्रकृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम भी है।
यह पवित्र मंदिर मसूरी और कद्दूखाल के बीच, समुद्र तल से लगभग 2700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहां पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 2 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है, जो माता की भक्ति में लीन हो जाने पर बहुत ही सुखद अनुभव बन जाती है।
️ मंदिर का इतिहास
माता सुरकंडा देवी का मंदिर माँ सती से जुड़ी एक अत्यंत पुरानी पौराणिक कथा पर आधारित है।
जब माँ सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में शिव जी का अपमान होते देख क्रोधित होकर आत्मदाह कर लिया, तब भगवान शिव शोक में सती के पार्थिव शरीर को लेकर ब्रह्मांड में भ्रमण करने लगे। विष्णु भगवान ने सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए ताकि शिव को मोक्ष मिल सके।
जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई।
माँ सुरकंडा देवी मंदिर उसी स्थान पर बना है जहाँ माँ सती का सिर गिरा था। इसलिए इसे शक्ति पीठ माना जाता है।
मंदिर का निर्माण किसने किया?
इस पवित्र मंदिर का प्रारंभिक निर्माण सदियों पहले स्थानीय राजाओं और भक्तों द्वारा कराया गया था। इसका मौजूदा स्वरूप बाद में हिमालयी वास्तुकला के साथ धीरे-धीरे विकसित किया गया।
यह स्थान सैकड़ों वर्षों से ग्रामीणों और तीर्थयात्रियों की आस्था का केंद्र रहा है। स्थानीय श्रद्धालुओं और सरकार के सहयोग से इस मंदिर का विस्तार और संरक्षण हुआ है।
मनोकामना पूर्ति और मान्यताएं
माँ सुरकंडा देवी के मंदिर में जाकर श्रद्धा से मांगी गई हर मुराद पूर्ण होती है। यहाँ पर—
विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।
संतान की प्राप्ति की कामनाएँ पूरी होती हैं।
नौकरी, शिक्षा, और धन संबंधी बाधाएँ समाप्त होती हैं।
मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
भक्त कहते हैं कि माँ के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता।
मंदिर में क्या करें?
माँ को लाल चुनरी, नारियल, बेलपत्र और पुष्प अर्पण करें।
मंदिर की परिक्रमा करते हुए “जय माँ सुरकंडा”, “जय शिव शंभू” का जाप करें।
मंदिर के पास बनी धूपघड़ी पर ध्यान करें, जहाँ से पूरी घाटी का दिव्य दृश्य दिखता है।
विशेष अवसर:
गंगा दशहरा और नवरात्र के समय इस मंदिर में भारी भीड़ लगती है।
एक भव्य मेला लगता है जहाँ दूर-दराज़ से श्रद्धालु आते हैं।
यहाँ की ऊँचाई और हवा में माँ की ऊर्जा का अनुभव होता है।
जय माँ सुरकंडा देवी!
शक्ति की यह पावन भूमि सदा हमारे जीवन में उजाला और ऊर्जा भरती रहे।
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