भगवान जगन्नाथ का रथ मज़ार पर क्यों रुकता है? जानिए इस रहस्य के पीछे की सच्चाई

हर साल रथयात्रा के समय पुरी की गलियों में एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है।भगवान जगन्नाथ का रथ चलते-चलते एक छोटे से मज़ार के सामने आकर अचानक रुक जाता है…न रथ खींचा जाता है, न ही आगे बढ़ता है…क्या यह कोई चमत्कार है? क्या इसके पीछे कोई रहस्य छिपा है?ये घटना होती है पुरी में मौलाना सैयद सलीम बाबा की मज़ार के पास।कहते हैं जब जगन्नाथ जी का रथ यहाँ पहुंचता है… तो वो कुछ पल ठहरते हैं…सैकड़ों लोग कोशिश करते हैं, लेकिन रथ आगे नहीं बढ़ता।तब पुजारियों द्वारा मज़ार की ओर झुककर श्रद्धा प्रकट की जाती है…और तभी रथ स्वतः चलने लगता है।
ये सिर्फ एक धार्मिक संयोग नहीं…बल्कि यह उस भावना का प्रतीक है जो बताती है किईश्वर के लिए धर्म, जाति या मज़हब कोई सीमा नहीं।
जगन्नाथ का अर्थ ही है – ‘जगत का नाथ’, वो केवल हिंदुओं के नहीं, पूरे संसार के हैं।कहते हैं कि इस मज़ार पर सलीम बाबा ने भक्ति भाव से भगवान को देखा था।उनकी आत्मा आज भी वहां उस रथ का इंतज़ार करती है।और भगवान जगन्नाथ… अपने भक्त से मिलने वहाँ हर साल आते हैं…
यह घटना हमें यह सिखाती है –कि जब भक्ति सच्ची हो…तो ईश्वर हर रूप में प्रकट होते हैं – चाहे मंदिर हो या मज़ार।
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं…
ये एक संदेश है –
“भक्ति में कोई भेद नहीं होता।”
जय जगन्नाथ
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