सूर्य ग्रहण: आत्मचिंतन और प्रभु भक्ति का दिव्य अवसर (21 मई 2025)

सूर्य ग्रहण: आत्मचिंतन और प्रभु भक्ति का दिव्य अवसर (21 मई 2025)
सूर्य ग्रहण: आत्मचिंतन और प्रभु भक्ति का दिव्य अवसर (21 मई 2025)https://bhakti.org.in/प्रभु-भक्ति-का-दिव्य-अवसर/

|| ॐ आदित्याय नमः ||

21 मई 2025, एक विशेष दिन… जब आकाश में सूर्य का तेज क्षीण होगा, और ब्रह्मांड का यह अद्भुत दृश्य हमें आत्मचिंतन का एक दुर्लभ अवसर देगा।

ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं है, यह एक आध्यात्मिक संकेत है।
हमारे ऋषि-मुनियों ने सदियों पहले बताया था कि ग्रहण का समय केवल डर का नहीं, ध्यान, जप और आत्मसाधना का समय है।

 

सूर्य ग्रहण का समय (भारत में):

ग्रहण आरंभ: प्रातः 11:11 बजे

ग्रहण मध्य: दोपहर 01:07 बजे

ग्रहण समाप्त: दोपहर 03:02 बजे

(ध्यान दें: समय अलग-अलग शहरों में थोड़ा-बहुत भिन्न हो सकता है।)

ग्रहण काल में क्या करें?

1. मंत्रों का जाप करें:

“ॐ नमः शिवाय”

“ॐ आदित्याय नमः”

“ॐ विष्णवे नमः”

2. भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत या रामचरितमानस का पाठ करें। ग्रहण काल में भोजन, नींद या व्यर्थ की बातों से दूर रहें।यह समय संकल्प, मौन और साधना का होता है। जल, दीप और धूप अर्पित करें:घर के मंदिर में दीपक जलाएं और सूर्य देव को अर्घ्य दें।

ग्रहण का आध्यात्मिक महत्व

ग्रहण काल में किया गया जप और ध्यान सामान्य समय की तुलना में 100 गुना अधिक फलदायी माना गया है।यह वह समय होता है जब ब्रह्मांड की ऊर्जा विशेष रूप से संवेदनशील और ग्रहणशील होती है।जैसे ही सूर्य का प्रकाश कम होता है, हमारे भीतर का प्रकाश जगाने का समय आ जाता है।

क्या न करें इस दौरान?

बाल कटवाना, नाखून काटना, स्नान करना (ग्रहण के दौरान) वर्जित होता है।भोजन और जल ग्रहण न करें।अनावश्यक मोबाइल उपयोग, मनोरंजन आदि से बचें।

ग्रहण के बाद क्या करें?

स्नान करें और भगवान को भोग अर्पित करें।अपने घर को शुद्ध करें – गंगाजल का छिड़काव करें।दान करें – अन्न, वस्त्र या जरूरतमंदों को कुछ दें।

अंत में एक स्मरण:

ग्रहण हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे जितना भी हो, सूर्य फिर से प्रकाशित होता है।ठीक वैसे ही, जीवन में दुख, भ्रम और अवसाद चाहे जितना भी क्यों न आए, भगवान की शरण में जाकर हम फिर से प्रकाशित हो सकते हैं।

21 मई 2025 को यह याद रखें – यह दिन आपके भीतर के सूर्य को जगाने का है।

|| हरिः ॐ ||

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