Site icon Bhakti Gyan

देवताओं में सबसे बड़ा देव कौन है? शास्त्रों का अंतिम सत्य

देवताओं में सबसे बड़ा देव कौन है? शास्त्रों का अंतिम सत्य

 

शिव, विष्णु और शक्ति – एक ही परम सत्य के विभिन्न रूप

हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और गूढ़ धर्म माना जाता है। इसमें असंख्य देवी-देवताओं की उपासना की जाती है। अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि “देवताओं में सबसे बड़ा देव कौन है?” क्या भगवान शिव सबसे बड़े हैं? क्या भगवान विष्णु सर्वोच्च हैं? या फिर माँ शक्ति ही सृष्टि की मूल हैं?

इस लेख में हम वेद, उपनिषद, पुराण और भक्ति परंपरा के आधार पर इस प्रश्न का गहराई से उत्तर जानेंगे।

देवताओं की बहुलता का रहस्य

हिंदू धर्म में अनेक देवता दिखाई देते हैं, परंतु यह बहुदेववाद नहीं बल्कि एक ही परम तत्व की विभिन्न अभिव्यक्तियाँ हैं। ऋग्वेद का प्रसिद्ध मंत्र कहता है:

“एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति”
सत्य एक है, ज्ञानी उसे अनेक नामों से पुकारते हैं।

इसका अर्थ यह है कि शिव, विष्णु, शक्ति, गणेश, सूर्य — सभी उसी एक परम ब्रह्म के स्वरूप हैं।

 वेदों और उपनिषदों का दृष्टिकोण

वेद और उपनिषद किसी एक देव को “सबसे बड़ा” घोषित नहीं करते। वे कहते हैं:

ब्रह्म निराकार, निर्गुण और अनंत है

वही साकार रूप में देवताओं के रूप में प्रकट होता है

जो दिखाई देता है, वह उसी अदृश्य सत्य का रूप है

उपनिषदों के अनुसार:
परम ब्रह्म ही सर्वोच्च है, देवता उसके माध्यम हैं।

 शैव मत के अनुसार – भगवान शिव

शैव परंपरा में भगवान शिव को महादेव कहा गया है, जिसका अर्थ है – देवों के भी देव।

शिव को सर्वोच्च क्यों माना जाता है?

शिव सृष्टि से पहले भी थे और सृष्टि के बाद भी रहेंगे

शिव न जन्म लेते हैं, न मृत्यु को प्राप्त होते हैं

ब्रह्मा और विष्णु भी शिव की आराधना करते हैं

शिव तांडव से सृष्टि का संहार और पुनर्निर्माण करते हैं

लिंग पुराण में कहा गया है कि:

शिव ही आदि हैं, मध्य हैं और अंत हैं।

इसलिए शैव मत में:
भगवान शिव = सबसे बड़े देव

 वैष्णव मत के अनुसार – भगवान विष्णु

वैष्णव परंपरा में भगवान विष्णु या नारायण को सर्वोच्च माना गया है।

विष्णु को सर्वोच्च क्यों?

विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं

राम और कृष्ण विष्णु के अवतार हैं

क्षीरसागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में स्थित

जब-जब अधर्म बढ़ा, विष्णु ने अवतार लिया

भगवद गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं:

“जब-जब धर्म की हानि होती है, मैं अवतार लेता हूँ।”

वैष्णव मान्यता में:
नारायण = परमेश्वर

 शक्ति मत के अनुसार – माँ आदिशक्ति

शक्ति उपासना में देवी दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती को सर्वोच्च माना गया है।

शक्ति को सर्वोच्च क्यों?

शक्ति के बिना शिव भी “शव” हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों शक्ति से उत्पन्न सम्पूर्ण ब्रह्मांड ऊर्जा से संचालित है देवी ही सृष्टि, पालन और संहार करती हैं

देवी भागवत पुराण में कहा गया है: सम्पूर्ण सृष्टि माँ की इच्छा से चलती है। इसलिए शक्ति मत में:
आदिशक्ति = सर्वोच्च सत्ता

 त्रिदेवों का गूढ़ सत्य

हिंदू दर्शन में त्रिदेव की अवधारणा है:

ब्रह्मा – सृष्टि के रचयिता

विष्णु – पालनकर्ता

शिव – संहारकर्ता

परंतु ये तीनों अलग नहीं, बल्कि एक ही शक्ति के तीन कार्य हैं।

 जैसे एक ही व्यक्ति घर में पिता, पुत्र और पति हो सकता है, वैसे ही परम तत्व तीन रूपों में कार्य करता है।

भक्ति का अंतिम सत्य

भक्ति मार्ग कहता है: जिस देव में आपकी श्रद्धा है, वही आपके लिए सर्वोच्च है ईश्वर भाव से प्रसन्न होते हैं, तुलना से नहीं सच्ची भक्ति किसी ऊँच-नीच को नहीं मानती

तुलसीदास जी कहते हैं: “सिया राममय सब जग जानी”m अर्थात पूरा संसार उसी ईश्वर से भरा है।

 तो फिर सबसे बड़ा देव कौन है?

इस प्रश्न का एक नाम वाला उत्तर नहीं है।

 वेदों के अनुसार – परम ब्रह्म
 शैव मत – महादेव शिव
 वैष्णव मत – नारायण विष्णु
शक्ति मत – माँ आदिशक्ति

सत्य यह है कि ईश्वर एक है, रूप अनेक हैं।

लोगों के पूछे जाने वाले प्रश्न 

1. क्या शिव और विष्णु अलग हैं?

नहीं, शास्त्रों के अनुसार दोनों एक ही परम तत्व के रूप हैं।

2. वेद किसे सबसे बड़ा देव मानते हैं?

वेद किसी एक देव को नहीं, बल्कि परम ब्रह्म को सर्वोच्च मानते हैं।

3. क्या देवी सभी देवताओं से बड़ी हैं?

शक्ति मत के अनुसार, हाँ — क्योंकि सभी देव शक्ति से ही कार्य करते हैं।

4. क्या हिंदू धर्म में ईश्वर एक है?

हाँ, हिंदू दर्शन में ईश्वर एक ही है, रूप अनेक हैं।

5. किस देव की पूजा सबसे श्रेष्ठ है?

जिस देव में आपकी सच्ची श्रद्धा हो, वही आपके लिए श्रेष्ठ है।

विज्ञान की दृष्टि से – सबसे बड़ा देव कौन?

विज्ञान किसी देवता को मानवीय रूप में स्वीकार नहीं करता, लेकिन यह मानता है कि पूरा ब्रह्मांड कुछ निश्चित नियमों और शक्तियों से संचालित हो रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि वही शक्तियाँ हमें हिंदू शास्त्रों में देवताओं के रूप में दिखाई देती हैं।

 ऊर्जा (Energy) – विज्ञान का परम सत्य

आधुनिक विज्ञान कहता है:

Energy can neither be created nor destroyed, it only changes its form.
ऊर्जा न उत्पन्न होती है, न नष्ट होती है – केवल रूप बदलती है।

यही बात गीता और उपनिषद हजारों साल पहले कह चुके हैं।

 विज्ञान की यह “ऊर्जा” ही
शक्ति मत में आदिशक्ति,
शैव मत में शिव की शक्ति,
वैष्णव मत में विष्णु की माया कहलाती है।

 ब्रह्मांड और ‘ब्रह्म’ का संबंध

विज्ञान कहता है – ब्रह्मांड (Universe) एक स्रोत से फैला

शास्त्र कहते हैं – सृष्टि ब्रह्म से उत्पन्न हुई

ब्रह्म (Brahma) ≠ ब्रह्मांड (Universe)
लेकिन दोनों का मूल विचार एक ही है – एक अनंत स्रोत

 वैज्ञानिक “Cosmic Energy” कहते हैं
 शास्त्र “परम ब्रह्म” कहते हैं

सृष्टि, पालन और संहार – वैज्ञानिक चक्र

विज्ञान के अनुसार:

हर तारा जन्म लेता है

कुछ समय चमकता है

फिर नष्ट होकर नई ऊर्जा बन जाता है

यही सिद्धांत हिंदू दर्शन में है:

ब्रह्मा – सृष्टि

विष्णु – संतुलन / पालन

शिव – संहार और पुनर्निर्माण

 विज्ञान इसे Cosmic Cycle कहता है
 धर्म इसे त्रिदेव कहता है

चेतना (Consciousness) और ईश्वर

आधुनिक विज्ञान आज भी यह नहीं समझ पाया कि: चेतना कहाँ से आती है?आत्मबोध कैसे होता है? उपनिषद कहते हैं: चेतना ही ब्रह्म है”

 विज्ञान जिसे Consciousness Mystery कहता है  शास्त्र उसे आत्मा और परमात्मा कहते हैं

मानव शरीर और देव प्रतीक

आज का न्यूरोसाइंस मानता है कि
 ध्यान और साधना से मस्तिष्क की क्षमताएँ बढ़ती हैं
जो योग और तपस्या से हजारों साल पहले बताई जा चुकी थीं।

ध्यान, मंत्र और कंपन (Vibration)

विज्ञान कहता है:

हर वस्तु कंपन (Vibration) करती है

ध्वनि का सीधा असर मस्तिष्क पर पड़ता है

शास्त्र कहते हैं:

ब्रह्मांड की मूल ध्वनि हैमंत्र जप से मन और शरीर संतुलित होता है

आज Sound Therapy और Meditation
 कल यही मंत्र साधना थी

 विज्ञान की नजर में “सबसे बड़ा देव”

विज्ञान किसी एक देवता का नाम नहीं लेता, लेकिन यह मानता है कि:

 एक सर्वव्यापी ऊर्जा है वही ऊर्जा नियम बनाती है वही ऊर्जा जीवन को चलाती है धर्म उसे ईश्वर कहता है विज्ञान उसे Universal Energy / Law of Nature कहता है

धर्म कहता है – ईश्वर एक है, रूप अनेक

विज्ञान कहता है – ऊर्जा एक है, स्वरूप अनेक

 इसलिए विज्ञान की दृष्टि से भी
“सबसे बड़ा देव” कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि वही अनंत ऊर्जा है,
जिसे हम शिव, विष्णु, शक्ति या ब्रह्म कहकर पुकारते हैं।

Exit mobile version