29 मार्च – चार मुखी दीपक जलाने का महत्वनवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यहाँ हम आपको नवरात्रि की सही पूजा विधि बता रहे हैं—

1. कलश स्थापना
नवरात्रि के पहले दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
एक साफ मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
कलश पर आम के पत्ते रखें और नारियल लाल कपड़े में लपेटकर ऊपर रखें।
कलश पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और उसमें अक्षत, सिक्के और सुपारी डालें।

2. माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
उनके समक्ष दीपक जलाएं और पूजा की थाली में कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), फूल, नारियल, मिठाई आदि रखें।
3. मंत्रों का जाप करें
रोज़ माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें, जैसे—
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
“ॐ दुं दुर्गायै नमः”
दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक का पाठ करें।
4. आरती और भोग लगाएं
माता की आरती करें (जय अम्बे गौरी, दुर्गा चालीसा आदि)।
माँ को फल, मिठाई, पंचामृत, खीर या हलवा का भोग लगाएं।
व्रत रखने वाले दिनभर फलाहार करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
5. कन्या पूजन और हवन (अष्टमी/नवमी पर)
अष्टमी या नवमी को 9 कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा और उपहार दें।
दुर्गा हवन करें और उसमें विशेष मंत्रों का उच्चारण करें।
6. विजयदशमी पर विसर्जन
दसवें दिन कलश विसर्जन करें और माता रानी को प्रणाम कर उनसे सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
इस विधि से माँ दुर्गा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। जय माता दी!