लेपाक्षी मंदिर का रहस्य – हवा में झूलता पत्थर आखिर कैसे टिकता है?
यहाँ एक 70 टन का विशाल पत्थर का खंभा है,जो सदियों से ज़मीन से कुछ इंच ऊपर “हवा में झूलता” दिखाई देता है
october 28,2025
Last Update on 28 October 2025 | क्या आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है जहाँ पत्थर हवा में झूलता हो?यह सुनने में अविश्वसनीय लगता है, पर यह बिल्कुल सच है।आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले में स्थित लेपाक्षी मंदिर (Lepakshi Temple)दुनिया के उन चमत्कारी स्थलों में से एक है,जहाँ विज्ञान भी आज तक हार मान चुका है।
यहाँ एक 70 टन का विशाल पत्थर का खंभा है,जो सदियों से ज़मीन से कुछ इंच ऊपर “हवा में झूलता” दिखाई देता है। ना उसके नीचे कोई सपोर्ट है, ना कोई कील, और ना ही कोई तार — फिर भी वह अपनी जगह से नहीं गिरता।
मंदिर का इतिहास – वीरभद्र की भूमि
लेपाक्षी मंदिर भगवान वीरभद्र को समर्पित है,जो भगवान शिव का एक रौद्र अवतार माने जाते हैं।कहानी के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने अपनी पुत्री सती का अपमान किया और सती ने यज्ञ अग्नि में अपनी देह त्याग दी, तब भगवान शिव ने क्रोध में वीरभद्र को उत्पन्न किया था जिन्होंने पूरा यज्ञ विध्वंस कर दिया।
इसी वीरभद्र की शक्ति और स्मृति में यह मंदिर बनाया गया। माना जाता है कि इसका निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजाओं द्वारा
16वीं शताब्दी में करवाया गया था। मंदिर के हर कोने में अद्भुत नक्काशी, पत्थरों पर उकेरी गई कहानियाँ, और स्थापत्य की सुंदरता देखने लायक है।
हवा में झूलते खंभे का रहस्य
मंदिर के सभा मंडप में कुल 70 से अधिक पत्थर के खंभे हैं। लेकिन इनमें से एक खंभा ऐसा है जो ज़मीन को छूता ही नहीं! इसके नीचे कपड़ा या कागज़ भी आसानी से निकाला जा सकता है। 1902 में एक अंग्रेज इंजीनियर ने इस रहस्य को समझने की कोशिश की। उसने खंभे को अपनी जगह से थोड़ा हिलाया, लेकिन तभी मंदिर की दीवारों में दरारें पड़ने लगीं!
डर के मारे वह भाग गया,
लेकिन पीछे छोड़ गया एक सवाल —
“आख़िर यह खंभा गिरता क्यों नहीं?”
वैज्ञानिकों की जाँच
कई वैज्ञानिकों ने इस चमत्कार को समझने की कोशिश की।कुछ ने कहा कि यह स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है।शायद खंभे का भार मंदिर की छत और दूसरे स्तंभों में
संतुलित रूप से बाँटा गया है,जिससे वह हवा में झूलता दिखाई देता है।परंतु जब आधुनिक उपकरणों से भी जाँच की गई,तो स्पष्ट रूप से पता चला कि खंभे का एक हिस्सावास्तव में ज़मीन से ऊपर है —और वह बिना किसी सपोर्ट के संतुलित है!यही कारण है कि आज तक कोई भीइस रहस्य का सही उत्तर नहीं दे पाया।
भक्तों की मान्यता
स्थानीय लोग और भक्त मानते हैं कि यह खंभा ईश्वर की शक्ति का प्रतीक है। उनका विश्वास है कि जब तक यह खंभा हवा में झूलता रहेगा,तब तक इस मंदिर की रक्षा स्वयं भगवान वीरभद्र करेंगे। कई श्रद्धालु इस खंभे के नीचे से कपड़ा निकालते हैं और उसे घर ले जाकर शुभता का प्रतीक मानते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में समृद्धि और शांति आती है।
मंदिर की विशेषताएँ
मंदिर में भगवान वीरभद्र की विशाल मूर्ति है। यहाँ एक विशाल नंदी (बैल) की प्रतिमा भी है, जो लगभग 27 फीट लंबी और 15 फीट ऊँची है। मंदिर की दीवारों और छतों पर रामायण और महाभारत की घटनाएँ उकेरी गई हैं। पास में एक विशाल काली नाग की मूर्ति है जो शिवलिंग को घेरे हुए है — जिसे देखकर हर भक्त का मन श्रद्धा से भर जाता है।
लेपाक्षी नाम का अर्थ
“लेपाक्षी” शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है —“ले” और “पाक्षी” — जिसका अर्थ है “उठो, पक्षी!” किंवदंती के अनुसार, यही वह स्थान है जहाँ जटायु (रामायण का वह पक्षी)
रावण से युद्ध करते हुए घायल होकर गिरा था। तब भगवान श्रीराम ने कहा था — “ले पाक्षि!” यानी “उठो, पक्षी!”और तभी से इस स्थान का नाम लेपाक्षी पड़ा।
आस्था बनाम विज्ञान
विज्ञान इसे स्थापत्य की कला कहता है, पर भक्त इसे दिव्यता का चमत्कार मानते हैं। कई बार ऐसा होता है कि जहाँ विज्ञान के उत्तर खत्म हो जाते हैं, वहीं आस्था की शुरुआत होती है।
लेपाक्षी मंदिर आज भी इस बात का जीवंत प्रमाण है कि हमारे प्राचीन शिल्पकारों और भक्तों की कला, विश्वास और भक्ति कितनी गहराई से जुड़ी हुई थी।
आज का लेपाक्षी मंदिर
आज यह मंदिर न सिर्फ़ एक तीर्थस्थल है, बल्कि एक अद्भुत पर्यटन स्थल भी है। हर साल हज़ारों लोग यहाँ आते हैं और हवा में झूलते खंभे के नीचे से कपड़ा निकालते हैं,
मानो ईश्वर की अदृश्य शक्ति को महसूस कर रहे हों।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. लेपाक्षी मंदिर कहाँ स्थित है?
➡ यह आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले में, हिंदुपुर के पास स्थित है।
Q2. इस मंदिर में किस देवता की पूजा होती है?
➡ यहाँ भगवान वीरभद्र (शिव जी का रौद्र रूप) की पूजा होती है।
Q3. हवा में झूलता खंभा कैसे टिकता है?
➡ वैज्ञानिक इसे स्थापत्य संतुलन का कमाल मानते हैं, पर भक्त इसे ईश्वर की शक्ति कहते हैं।
Q4. क्या मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है?
➡ हाँ, यहाँ प्रवेश बिल्कुल निःशुल्क है, और मंदिर प्रतिदिन दर्शन के लिए खुला रहता है।
Q5. क्या लेपाक्षी का संबंध रामायण से है?
➡ हाँ, माना जाता है कि यहीं पर जटायु गिरा था और श्रीराम ने उसे “ले पाक्षि” कहकर उठने को कहा था।
लेपाक्षी मंदिर सिर्फ़ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत चमत्कार है जो आस्था और विज्ञान —दोनों के बीच की रेखा को धुंधला कर देता है।
हवा में झूलता यह खंभा आज भी हर यात्री को यह सोचने पर मजबूर कर देता है —“क्या यह ईश्वर का चमत्कार है या मानव की कला का करिश्मा?” शायद सच्चाई दोनों के बीच कहीं छिपी है…
जय वीरभद्र महादेव
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