1. भयानक नरक में पतन:
जो व्यक्ति आत्महत्या करता है, उसे मृत्यु के बाद सीधे नरक की यातनाएँ सहनी पड़ती हैं। उसे अन्धतमिस्र, रौरव, या महाराौरव जैसे अत्यंत पीड़ादायक नरकों में भेजा जाता है।
2. बार-बार वही मृत्यु सहना:
आत्महत्या करने वाला जीव अगले जन्मों में भी उसी प्रकार की मृत्यु को बार-बार सहता है, जिस प्रकार उसने आत्महत्या की थी। यह उसका कर्मबंधन बन जाता है।
3. प्रेतयोनि में जन्म:
गरुड़ पुराण में वर्णन है कि आत्महत्या करने वाले को प्रेत (भटकती आत्मा) बनकर लम्बे समय तक पीड़ा झेलनी पड़ती है। उसकी मुक्ति कठिन हो जाती है क्योंकि उसने स्वयं जीवन का त्याग किया होता है।
4. मोक्ष का मार्ग कठिन:
आत्महत्या करने वाला व्यक्ति कई जन्मों तक मानव जीवन नहीं प्राप्त कर पाता। यह सबसे बड़ी हानि मानी जाती है क्योंकि मानव जन्म ही मोक्ष का द्वार है।
5. पुनर्जन्म में क्लेश:
अगले जन्मों में उसे विकलांगता, मानसिक पीड़ा, गरीबी, अपमान या अत्यधिक दुःखद जीवन मिल सकता है।
गरुड़ पुराण यह संदेश देता है:
जीवन ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। दुःख और कष्ट कर्मों के फल हैं जो समय के साथ समाप्त हो सकते हैं। आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि और भी बड़े संकटों का कारण बनती है।