उत्तराखंड की ऊँचाईयों में स्थित केदारनाथ मंदिर,ना केवल आस्था का प्रतीक है,बल्कि यह चमत्कारों और रहस्यों से भरा एक अद्भुत स्थल भी है।
लेकिन क्या आप जानते हैं
यह मंदिर कभी सदियों तक बर्फ़ में दबा रहा था? हां, मान्यता है कि करीब 400 सालों तक केदारनाथ मंदिर बर्फ़ के नीचे दबा रहा,लेकिन आश्चर्य की बात ये है ना मंदिर की दीवारों को नुकसान पहुँचा,ना ही शिवलिंग को कोई हानि हुई।
इतिहासकारों और वैज्ञानिकों के अनुसार,
17वीं शताब्दी में हिमालय क्षेत्र में भारी हिमपात और जलवायु परिवर्तन के कारण,पूरा इलाका बर्फ़ से ढक गया था।केदारनाथ मंदिर भी इसी बर्फ़ीली चादर में लिपट गया और करीब चार सदियों तक,यह पवित्र धाम एक शांत, गूढ़ नींद में सोया रहा।लेकिन समय बदला…धीरे-धीरे जब बर्फ़ पिघली,तो जो दृश्य सामने आया,वह चौंकाने वाला था मंदिर ज्यों का त्यों खड़ा था।ना केवल खड़ा था,बल्कि उसकी शक्तियाँ और आभाऔर भी प्रबल प्रतीत हो रही थी।
यह कोई साधारण निर्माण नहीं,बल्कि पांडवों द्वारा स्थापित औरआदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्स्थापितवह स्थान है जहाँ स्वयं महादेव विराजते हैं।
केदारनाथ सिर्फ एक मंदिर नहीं,यह विश्वास, चमत्कार और सनातन शक्ति का प्रतीक है।आज भी जब भक्त वहाँ जाते हैं,तो हिमालय की हवाओं में शिव की उपस्थिति महसूस करते हैं।